शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

!! बेचारा इंसान !!

!! बेचारा इंसान !!
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कुत्ता
कुत्ता ही रहा!
भौंकता रहा,
काटता रहा,
दुम हिलाता रहा,
वफादारी निभाता रहा.
कुत्ते ने कभी 
इंसान बनने की 
कौशिश नहीं की.
कुत्ता 
कुत्ता ही बना रहा,
पूरा कुत्ता.
इंसान 
इंसान ही  था.
बहुत समय तक 
इंसान, 
इंसान ही 
बना रहा.
फिर 
इंसान ने 
कुत्ता बनना शुरू किया
वो भौंकने लगा,
काटने लगा,
दुम भी हिलाने लगा ,
लेकिन 
वफादार नहीं
बन पाया!
कुत्ता बनने की कौशिश में 
इंसान 
न तो 
पूरा कुत्ता बन पाया,
ना ही पूरा 
इंसान ही रह पाया!
आधा इंसान,
इंसानियत के बगैर !
आधा कुत्ता,
वफादारी के बगैर !!
बेचारा  इंसान!!!!!!!!
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!! मानवता !!

************************** !! मानवता !! ************************** 
आज सवेरे घर से बाहर निकला तो एक जगह देखा कि कुतिया के छोटे-छोटे पिल्लै,कडकडाती ठण्ड से बचने के लिए एक दुसरे में गुत्थमगुत्था हो रहे हैं....मुझे  बचपन के दिन याद आगये....कैसे कुतिया की 'डिलेवरी' पर मोहल्ले वाले,बच्चों की अगुवाई में  उसे गुड का हलवा बना कर खिलाते थे....उसके बच्चों के लिए टाट का घर बनाते थे.... उसके बच्चों और उसके लिए समय-समय पर खाने का प्रबंध करते थे....!!!! मुझे  मालुम  है  मेरे  कुछ'नयी पीढ़ी' के  शहरी  नौज़वान  दोस्तों को मेरी ये बातें अटपटी,नितांत 'गवारुं' और आश्चर्यजनक लगेगी लेकिन क्या करूँ....उस समय का सत्य तो यही था....!! आज देखता   हूँ ...इंसान  को  इंसानों  के लिए ही  फुर्सत  कहाँ  है ..!!! भीड़ में इंसान,गिरे हुए इंसान को कुचलते हुए निकल जाता है....,फुटपाथ  पे पड़े किसी असहाय इंसान को नज़रंदाज़ कर जाता है.... किसी भूखे की लाचारी समझे बिना उसे 'उपदेश' झाड जाता है......!! कुत्तों की  तो कौन कहे....!!! इंसान,इंसान के बारे में ही लगभग संवेदना -शुन्य सा जान पड़ता है....!! सोचता  हूँ उस समय 'सहज मानवता' के साथ जी रहे इंसान ने आखिर क्या खोया..... ????? और आज आपा-धापी में लगे,इंसानियत को दोयम दर्जे का मानने वाले  इंसान(???....) ने आखिर क्या पा लिया है...... ????***
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बुधवार, 24 नवंबर 2010

--- इंसानी फितरत ---

--- इंसानी फितरत ---
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ईश्वर-अल्लाह ने
बनाया था मुझे 
'मुहब्बत' 
लुटाने के लिए !
मैंने अपनी 
'औकात'
दिखा दी,
मैं हो गया आमादा
उन्हीं को 
लड़ाने के लिए !!
!!! सबको सन्मति दे भगवान् !!!
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!! सुप्रभात !!

!! सुप्रभात !! 
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सितारों ने 
घर की राह पकड़ी,
सूरज बाहर निकल आया है,
परिंदे निकले हैं
आसमान की थाह लेने,
सवेरा मंद-मंद मुस्काया है.
दोस्तों 
गुजर गई है रात,
उठिए,
!! सुप्रभात !!
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!! सुप्रभात-2 !!

--- सुप्रभात ---
सवेरे ने 
द्वार पर
दस्तक दी है,
चिड़ियाओं ने
हवाओं में 
अठखेलियाँ की है.
उजाला दे चुका है
अँधेरे को मात,
 उठिए दोस्तों
सुबह हो गयी है 
|| सुप्रभात ||.
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!! सफेदपोश !!

--- सफेदपोश ---
बापू की जयंती पर
बापू के छद्म भक्त
बापू की मूर्तियों को 
माला पहनाएंगे,
अंग्रेजी में
भाषण भौंक आयेंगे !
रात को
दोस्तों के साथ मिलकर 
जाम से जाम टकराते हुए
बापू का जन्मदिन मनाएंगे,
और बापू को तस्वीरों में,
व बापू के सिद्धांतों को
खूंटी पर टांग कर 
364 दिनों के लिए
लम्बी तान कर सो जायेंगे !!
और बापू
ऊपर स्वर्ग में बैठे 
निचे अपने भक्तों की
भक्ति देख कर 
बस यही कह पाएंगे 
!! हे राम !!
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!! सुप्रभात-3 !!

--- सुप्रभात ---
 रेवड़ चले 
जंगल की और
कबूतर 
दाना चुगने आये हैं,
पनिहारिनों ने
राह पकड़ी पनघट की,
पंछियों ने 

मधुर तराने गाये हैं.

प्रकृति कर रही
अमृत की बरसात,
उठिए दोस्तों
सुबह हो गई
" सुप्रभात. "

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!! कृपया इसे ना पढ़ें !!

--- कृपया इसे ना पढ़ें ---
सूरज की तेज़ रौशनी में
चाँद ने चांदनी बिखेरी है !
सितारों ने बाहर आकर
बादलों से कहा,
तुम भरपूर आग बरसाओ
समंदर की बहती हुई
रेत की बूंदों पर !!
ताकि हवा दम घोंट दे
लाशों का !!
ये सुनकर बहरों ने
कानो में रुई डाली,
और एक अँधा
दो गूंगों को
बतियाते देख
अपनी आँखें बंद कर ,
सूरज की तेज चांदनी में
जीरो वॉट का
फ्यूज बल्ब जला कर
ऐसे पढने बैठ गया
जैसे "आप" पढ़ रहे हैं
मेरे मना करने के
बावजूद. !!!!!!
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हे राम !.....

!! बुरा ना मानों होली है !!

!! दोस्तों के नाम !!

!! अपने स्वर्गवासी संस्कारों को सादर श्रद्धान्जलि !!

!

मंगलवार, 23 नवंबर 2010

!! मुक्तिका !!

!! अपने स्वर्गवासी संस्कारों को सादर श्रद्धान्जलि !!

!! मुक्तिका !!

!! मुक्तिका-1 !!

!! माँ !!