बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

!! मुक्तिका !!

****** !! मुक्तिका !! *****
मज़बूरी है,लाचारी है,
जंग जिंदगी की ज़ारी है !
मिले जीत या हार मिले,
अपनी पूरी तैयारी है ! 
देखता रहा जो 'कटते' मुझको
कल 'उसकी' भी बारी है !
कछुए सा जो है चल रहा ,
ज़रूर काम कोई 'सरकारी' है !
मीठा गटक,कडवा 'थू' कर,
कहती यही दुनियादारी है !
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मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

!! मुक्तिका !!

****** !! मुक्तिका !! *****
जिंदगी का ये हाल है,
कदम-कदम पर इक सवाल है,
मरना भी मुमकिन नहीं -
जीना भी अब मुहाल है !
चेहरों की रंगत का सच,
गाल थप्पड़ से लाल है !
गरीब खाए भी तो क्या ?
दूर उससे रोटी-दाल है !
मार्च तक कम होगी 'महंगाई'
दिल बहलाने को अच्छा ख्याल है ! 
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