!!!.....मेलों का मौसम..... !!!
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आज-कल गाँव में
मेलों का मौसम है !
शहरों की
रेलमपेल सेथक गए हो 'गर,तो लौट के आ जाओगाँव में कुछ दिनों के लिए !'माता जी' केमंदिर के पास लगा है मेलाझूले हैं,कुल्फी है,टमाटर-ककड़ी है,गुब्बारे हैं,बांसुरी है,तमंचा है, पांच-दस वाले खिलोनें भी है !सख्श एकचला रहा है ''घेरे'' में साइकिल !और दो-दो रूपये में 'तमाशा' भी दिखाया जा रहा है !पकोड़े,जलेबी,पेठे,इंतज़ार में हैं आपके !कि जीना हो जो बचपन अपनादुबारा,तो लौट आओ गाँव में की आज-कल गाँव में मेलों का मौसम है ! ******************************************************** नदियाँ सूखी, नाले सूखे, सूखे झील-तालाब !अब भी 'गर हम ना चेते तो 'पानी' होगा ख़्वाब !! ****************************
!!!.....मेलों का मौसम..... !!!
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आज-कल गाँव में
मेलों का मौसम है !
शहरों की
रेलमपेल से
थक गए हो 'गर,
तो लौट के आ जाओ
गाँव में
कुछ दिनों के लिए !
'माता जी' के
मंदिर के पास
लगा है मेला
झूले हैं,
कुल्फी है,
टमाटर-ककड़ी है,
गुब्बारे हैं,
बांसुरी है,
तमंचा है,
पांच-दस वाले खिलोनें भी है !
सख्श एक
चला रहा है ''घेरे'' में
साइकिल !
और दो-दो रूपये में
'तमाशा' भी
दिखाया जा रहा है !
पकोड़े,
जलेबी,
पेठे,
इंतज़ार में हैं आपके !
कि जीना हो जो
बचपन अपना
दुबारा,
तो लौट आओ गाँव में
की आज-कल
गाँव में
मेलों का मौसम है !
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नदियाँ सूखी, नाले सूखे, सूखे झील-तालाब !
अब भी 'गर हम ना चेते तो 'पानी' होगा ख़्वाब !!
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बहुत दिन के बाद कोई रचना ने मुझे बचपन याद दिलाया है .सुंदर कविता आह अब कहाँ वो भोली सरलता .
जवाब देंहटाएंअशोक जी मुझे ब्लॉग पर आपकी नई रचना का इन्तेज़ार है कई बार आके खाली लोट चूका हूँ
जवाब देंहटाएंआदरणीय रफत साहब,
जवाब देंहटाएंकाफी दिनों से बाहर हूँ,अतः ब्लॉग अपडेट नहीं कर पाया.
आज ही एक नयी रचना लिखी है,जो पोस्ट कर रहा हूँ.
कृपया अपनी अमूल्य राय अवश्य दीजिएगा.
सादर--
अशोक पुनमिया.