रविवार, 25 सितंबर 2011

!! बहुत मुखोटे हैं !!



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बहुत मुखोटे हैं !
मशवरे बड़े हैं,
प्रवचन बड़े हैं,
कुएं के मेढक-
कुएं में पड़े हैं !
भाषण है भीषण,
ख्यालात छोटे है !!
बहुत मुखोटे हैं !
'मैं ' पर जोर है,
बाकी सब 'बोर' है ,
दीपक तले-
अन्धेरा घनघोर है !
ज्ञान बांटते दुनिया को-
घर में पर टोटे हैं !
बहुत मुखोटे हैं !
'सूरत ' के कायल है,
दिल से घायल है,
चेहरे पे मुस्कान बड़ी-
पर उसमें भी छल है !
असल की शक्ल में-
सिक्के खोटे हैं !
बहुत मुखोटे हैं ! 
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सोमवार, 19 सितंबर 2011

!! इम्तेहान बाकी है !!

जिस्म में मेरे जब तलक जान बाकी है,
खुदा जाने कितने और इम्तेहान बाकी है !
दोस्तों की फेहरिस्त लम्बी हुई खूब मगर,
दर्दो-ग़म में बस अब पहचान बाकी है !
यूँ तो लिखे हमने भी ढेरों शे'र अब तलक,
दे मुकम्मल पहचान वो बयान बाकी है !
'तिहाड़' खुले रखना तू दरवाज़े रात-दिन,
'कुर्सियों' पर अब भी कईं 'बेईमान' बाकी है !
फ़क़त लिखने के लिए लिखना मत 'अशोक',
लिखना है वाजिब,अगर तेरा ईमान बाकी है ! 
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सोमवार, 12 सितंबर 2011

!पकोड़े मुबारक हो !

!
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कल सुबह से शुरू हुआ बारिश का दौर जारी है.
पुरे सावन में जैसी बारिश नहीं हुयी,कल सवेरे से ऐसी झमाझम हो रही है.
नदी-नाले उफान पर है.....लोग नदियों पर तालाबों पर मज़े ले रहे हैं.
बैठे-ठाले चाय-पकोड़ों ने मज़ा दुगुना कर दिया है...कईं स्कूलों ने छुट्टी रख ली है,सरकारी दफ्तरों में उपस्थिति आम दिनों से कम हो तो आश्चर्य नहीं होगा!
पिछले करीब सप्ताह भर से मुझे भी वायरल-फीवर ने परेशान कर रखा था....कल से ही थोड़ा ठीक हुआ हूँ.
फेस-बुक और ब्लॉग पर ना ही कुछ लिख पाया,ना ही कुछ पढ़ ही पाया.....
दोस्तों के टैग तक के ज़वाब नहीं दे पाया....!
आने वाले दिन शायद अच्छे हो और मैं वापस सक्रीय हो पाऊं.
काम की आपाधापी से समय चुराने का ये बेहतरीन मौक़ा है......इसको खो कर भी कुछ पाया तो क्या पाया........!
अगर आपके वहां भी बादल मेहरबान हो रहे हो, तो आपको भी गर्मागर्म चाय की चुस्कियां और पकोड़े मुबारक हो !
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गुरुवार, 8 सितंबर 2011

!!बम ब्लास्ट पर !!

-- दिल्ली हाईकोर्ट में बम ब्लास्ट पर --
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चीखना मत,चिल्लाना मत
रोना मत,
कितनी ही बेदर्दी से कुचले जाओ
आहत होना मत !
.ध्यान रखना-
देश के भाग्य विधाताओं से
जुबां तुम्हारी
कोई सवाल ना कर पाए.....
कहीं उनके 'विशेषाधिकारों' का
हनन ना हो जाए !!
चुप रहना,सह लेना
अपनी नियति मान कर
पड़े रहना,
कभी मुम्बई में
कभी दिल्ली में 
आतंकियों की
गोली खाने को
लाईन लगा कर
खड़े रहना !!
उनको राजनीति करने देना,
अस्पताल में घायलों को
तड़फ-तड़फ कर
मरने देना !
ध्यान रखना-
देश के भाग्य विधाताओं से
जुबां तुम्हारी
कोई सवाल ना कर पाए.....
कहीं उनके 'विशेषाधिकारों' का
हनन ना हो जाए !!
आतंकियों को
'अधिकार' है,
वे बम फोड़ते रहेंगे !
तुम्हारा 'कर्तव्य' है
तुम मरते रहो !!
गुनाहगार
'अफज़ल'-;कसाब'
''इन्साफ'' के लिए
ठाठ से इंतज़ार करेंगे,
बेगुनाह
भारत वासी
बस यूँ ही बेमौत मरेंगे !!
ध्यान रखना-
देश के भाग्य विधाताओं से
जुबां तुम्हारी
कोई सवाल ना कर पाए.....
कहीं उनके 'विशेषाधिकारों' का
हनन ना हो जाए !!
हर धमाके के बाद
प्रधानमन्त्री
तोते की तरह बोलेंगे--
''ये कायराना हरकत है'' !
तुम मत पूछना--
''आपने कब हिम्मत दिखाई ?''
'वे कहेंगे--
''हम हारे नहीं है.''
तुम मत पूछना--
''आप कब जीतोगे ?''
वे कहेंगे--
''सब पार्टियों को एक हो जाना चाहिए''
तुम मत पूछना--
''अपनी पगार और भत्ते बढानें में
सब पार्टियां कब अलग थी ?'' 
वे ''चवन्नी'' भर
मुआवजा देंगे,
तुम लेकर
ख़ुशी-ख़ुशी घर जाना,
बस
ध्यान रखना-
देश के भाग्य विधाताओं से
जुबां तुम्हारी
कोई सवाल ना कर पाए.....
कहीं उनके 'विशेषाधिकारों' का
हनन ना हो जाए !!  
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