गुरुवार, 26 जनवरी 2012

!! गणतंत्र !!

************************************************
साठ वर्षों से ज्यादा उम्र वाले 'गणतंत्र' में आज भी 'रोटी-कपड़ा-मकान' की बात चिंताजनक और थोड़ी हास्यास्पद लग सकती है,लेकिन वास्तविकता यही है !
लग-भाग १२० करोड़ की आबादी में से मुट्ठी भर,तथाकथित 'गणमान्य' लोग आज 'संपन्न' है,और देश के 'तंत्र' पर कब्ज़ा किये हुए हैं,जबकि एक बड़ा तबका आज भी गाँवों से लेकर शहरों तक 'घर' तो छोडिये,तन ढकने लायक ज़रूरी कपड़ों,और दो वक़्त के भरपेट भोजन से भी वंचित है !इस हकीक़त को देखने के लिए ''शाईनिंग इंडिया'' की खुमारी में से बाहर आना पडेगा !
आज हमारे 'गणतंत्र' में 'गण' 'गौण' हो गया है,और 'तंत्र' 'राजशाही' की तरह व्यवहार कर रहा है ! 'भ्रष्टाचार' इस 'तंत्र' का चरित्र और स्थायी पहचान बन गया है !भारत के अभागे-वंचित 'गण' को मूलभुत आवश्कताओं से भी महरूम रखा जा रहा है,और सारी महत्वपूर्ण नीतियाँ उस संपन्न वर्ग के लिए बनायी जा रही है,जिसकी 'अय्याशी' का कहीं कोई अंत ही नहीं है !
स्थितियां जब तक ऐसी रहेगी,ये गणतंत्र रोटी-कपड़ा-मकान में ही फंसा रहेगा.और रहना भी चाहिए, क्योंकि जीवन के लिए आवश्यक न्यूनतम, बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित 'गण' के लिए आखिर 'गणतंत्र' के क्या मायने ????!!!! 
'गणतंत्र' एक राष्ट्रीय पर्व है,और इस पर्व पर 'निराशाजनक' बातें उचित नहीं जान पड़ती,किन्तु इस दिल का क्या कीजे,जो 'मुखौटों' से नहीं बहलता !
बहरहाल,इस 'गणतंत्र दिवस' पर सभी दोस्तों को शुभकामनाएं,इस विश्वास के साथ,कि आने वाले समय में हमारा 'गणतंत्र' सार्थक रूप में एक सच्चा 'गणतंत्र' बनेगा,जहां 'तंत्र' सही रूप में 'गण' से जुड़ेगा.
************************************************



मंगलवार, 24 जनवरी 2012

!!ठिठुरती कथा !!


***************************************************************   
सर्दी का मौसम है.....कडाके की ठण्ड पड़ रही है.....!
स्वेटर,मफलर,कम्बल-रजाई के सहारे दिन-रात गुज़र रहे हैं !
चाय की चुस्कियों ओर अलाव ने जिंदगी को सहारा दे रखा है !
नलों का पानी ओर लोगों की जिंदगी दोनों ही जम से गए हैं !
बदलते लोगों के साथ मौसम भी बदलने लगा है !
इंसानों में 'इंसानियत' ना रही ओर मौसम में 'मौसमियत' ना रही !! दोनों का मिजाज़ बदल गया है !
इंसान से मौसम दुखी है......ओर मौसम से इंसान दुखी है ...!!
इसी सर्द मौसम में एक मौसमी कथा,जो कितनी सच के करीब है---आप तय करें.
चार दोस्त.पक्के दोस्त.रोज साथ उठना-बैठना.
चारों मेसे तीन दोस्त खाते-पीते परिवार वाले ओर चौथा दोस्त मुझ जैसा फक्कड़....फटीचर...!लेकिन दोस्ती पक्की!
सर्दी की एक शाम......रोज की तरह चारों दोस्तों के मिल-बैठने का समय...!
तीन दोस्त इकट्ठे हो चाय की थडी पर 'कटिंग' का मज़ा लेते हुए बतिया रहे हैं...!चौथा दोस्त आज वक़्त पर पहुंचा नहीं है!
तीन मेसे एक बोला--'यार ऐसी ठण्ड में मैं तो घर का हीटर चौबीसों घंटे 'ऑन'ही रखता हूँ...घर में तो मुझे पता ही नहीं चलता कि ठण्ड है भी या नहीं !!'
दूसरा दोस्त बोला--'अरे यार,हीटर तो मैं भी चौबीसों घंटे शुरू रखता ही हूँ,साथ में गरमा-गर्म हलवा,बादाम मार के और उबलती हुई चाय का दौर भी दिन भर चलता ही रहता है....!!'
तीसरा दोस्त बोला-- 'अरे यार यही हाल मेरा भी है......मैं भी ऐसे ही अपना घर गर्म रखता हूँ.....साथ में इस बार तो 'वाईफ' से कह कर 'स्पेशल' बादाम,देशी घी ओर सौंठ के लड्डू भी बनवा दिए हैं.....अब स्साली कैसी ठण्ड....!!
अरे यार 'वो' फटीचर कैसे करता होगा ठण्ड का सामना...!!उसके घर पर ना तो 'हीटर' है...ना ही बादाम,घी,सौंठ के लड्डू....'मक्की' की रोटी भी बेचारे को बिना घी के ही नसीब होती है...!!! हा...हा......हा......!!तीनों दोस्त ठहाका लगा कर हँस पड़े.!!
तभी चौथा दोस्त भी आ गया....पतले शर्ट और पेंट में.....रोज का स्वेटर और मफलर भी आज तन से गायब था....!चाय की थडी वाले ने उसे भी 'कटिंग' पकड़ा दी.
तीनों दोस्त एक साथ बोल पड़े '.....अबे कहाँ रह गया था....फक्कड़...!'
'अबे कल तुम तीनों कहा मर गए थे'.....चौथे 'फक्कड़' दोस्त ने चाय की चुस्की लेते हुए उलटा प्रश्न दाग दिया.
'अरे यार कल तो हम ठण्ड उड़ाने 'बार' में चले गए थे.......अब तू तो 'पीता-पिलाता' नहीं.......तो तुझे कहा भी नहीं !'एक दोस्त टेढ़ी मुस्कान के साथ बोल पडा.
'और तू आज कहाँ अटक गया यार......बिना स्वेटर-मफलर के 'पहलवान' बना चला आ रहा है.......!!'
'अरे कुछ नहीं यार....बीच रास्ते में फुटपाथ पर पडा एक बूढा ठण्ड से कांप रहा था.....हाथ लगा कर देखा तो बुखार से सिक रहा था.....जैसे-तैसे उठा कर उसे अस्पताल पहुंचा आया हूँ........बेचारा ठण्ड से कांप रहा था......मफलर ओर स्वेटर की उसे ज्यादा ज़रूरत थी......' उसकी आवाज़ भर्रायी हुई थी!
स्वेटर,कोट,मफलर में लिपटे तीनों दोस्तों को ठण्ड ने 'ठंडा' कर दिया था.....चौथा दोस्त शर्ट ओर पेंट में भी गर्माहट महसूस कर रहा था.....!!!
***************************************************************    

शनिवार, 21 जनवरी 2012

!!'मगरमच्छ' बचे रहेंगे !!


*************************************
....पहले कनिमोड़ी.......फिर राजा.......अब कलमाड़ी.......सभी बाहर ....!!
धीरे-धीरे बात पुरानी होगी......लोग भूलते जायेंगे.......!!
बोफोर्स को भी भूले ही थे........चुरहट लाटरी को भी भूले ही थे..........सीमेंट काण्ड को भी भूले ही थे........!!
क्या बिगड़ा किसी का......!!
''माल'' खा कर मुटियाए लोग आज भी मजे कर रहे हैं....!!
'सरकार' की मंशा हमेशा ही पूरी हुई है....,भ्रष्टाचार के मामले को इतना लटका दो कि 'गुनाहगार' 'लटकने' से बच जाए ....!!
*************************************
*************************************
इन दिनों देश में इक्का-दुक्का,छोटे-मोटे सरकारी कारिंदे ,जिनकी 'पगार'१५-२० हजार मासिक के लगभग है,करोड़ों के काले धन के आरोप में पकडे जा रहे हैं !
ऐसे कईं लाख सरकारी कारिंदे इस देश में हैं............उनके पास कितना काला धन होगा...????
इन छोटे-मोटे सरकारी कारिंदों के कईं 'माई-बाप' उनसे ऊँचे ओहदों पर बैठे हैं......और उनके भी 'माई-बाप' 'सरकारों' में मंत्री-संत्री,चेले-चपाटे के रूप में मौजूद है.....!!उनके काले धन का क्या कोई ओर-छोर होगा.??? कब पड़ेंगे इनके यहाँ छापे....??? क्या पड़ेंगे भी.....???या कि 'मगरमच्छ' बचे रहेंगे.....सिर्फ छोटी 'मछलियाँ' पकड़ी जाती रहेंगी.....???!!!,ताकि भ्रम बना रहे कि सफाई अभियान जारी है.....!! 
**************************************

शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

!!फेहरिश्त ज़वाबों की !!

******************************
फेहरिश्त  ज़वाबों की अक्सर औंधे मुंह पड़ी मिली,
जिंदगी मुझको हमेशा नए सवाल लिए खड़ी मिली !
चाहा तो बहुत मैंने भी,देंखू वक़्त बदलता हुआ,
तकदीर मेरी,जब भी मिली,बंद पड़ी घडी मिली !
यूँ मिला सिला उसे घर बसाने की आज़ादी का,
बेड़ियाँ पांवों में और हाथों में हथकड़ी मिली !
बड़ों की बड़ी दुनिया में बड़प्पन जब भी ढूंढा मैनें,
टुच्चापन था खूब और बस बातें बड़ी-बड़ी मिली !
बचपन याद आ गया,दादी संग जो गुजरा था,
घर के कोने में इक दिन जो दादाजी की छड़ी मिली !
थी टिकिट 'सिनेमा' की पर ऑफिस ने उलझा दिया,
देर रात जो घर पहुंचा तो 'बीबी'उखड़ी-उखड़ी मिली !
******************************

शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

!! जय हिंद-1 !!


***************************************
पचहत्तर साल का एक 'बूढा' इस देश के अवाम के लिए मरने को तैयार है,लेकिन अवाम को सचिन के सौ शतकों और क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया पर भारत की जीत की ज्यादा चिंता है !
'अन्ना' नाम का एक फकीर जब भूखा रह कर इस देश के सफेदपोश 'लुटेरों' से दो-दो हाथ करने को आमादा था,तब इस देश के अवाम के पास उतना समय नहीं था,जितना उस 'अन्ना' नाम के एक निस्वार्थी बूढ़े को चाहिए था...!!
प्रायोजक समाचारों के बूते ज़िंदा रहने वाले और अपने आप को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहने वाला मीडिया और उसके स्वयं भू 'विश्लेषक' अन्ना के साथ जुटने वाले लोगों को 'तमाशबीन' बताते हैं,और भीड़ नहीं जुटने पर इसे 'अन्ना आन्दोलन' की विफलता बताते हैं.......यानी मीडिया स्वयं तय नहीं कर पा रहा कि उसकी राय क्या है ?और देश हित में उसका दायित्व क्या है ?मीडिया ने अपना काम सिर्फ अटकलबाजी और चटाखेदार ख़बरों तक ही सिमित कर दिया है,क्यों की इसी से उसका धंधा अच्छा चल सकता है !
'रावण' और 'कंश' ने खूब राज़ किया....उनकी कुटिलता में हिस्सेदार भी खूब थे....,लेकिन एक दिन उनकी भी दुर्गति ज़रूर हुई....!'राम','कृष्ण' उनसे टकराते रहे...विफल भी हुए होंगे....लेकिन अंततः सफलता उन्हें ही मिली.....!!
सत्य और अच्छाई एक दिन ज़रूर जीतेगी......,'अन्ना' जैसे लोग ये उम्मीद जगाते हैं,जगाते रहेंगे....!!
!!!!!!!!! जय हिंद !!!!!!!!!
***************************************