शनिवार, 4 जुलाई 2015

!! दूध का दूध पानी का पानी !!

देख मलाई-रबड़ी जब मुंह में आये पानी,
कैसे करे कोई,दूध का दूध पानी का पानी!
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    'दूध का दूध पानी का पानी' मुहावरा केवल विपक्ष के लिए बना है.जिसके पक्ष में कुर्सी आई,उसके लिए इस मुहावरे का कोई अर्थ नहीं.बल्कि तब तो ये मुहावरा पक्ष के लिए 'अनर्थ' बन जाता है.इस लिए पक्ष वाले इस मुहावरे से कन्नी काटते हैं और विपक्ष वाले इस मुहावरे को पानी पी पी कर दिन में सौ बार दोहराते है!
   भाजपा जब संसद में और विधान सभाओं में विपक्ष में बैठा करती थी,तब कांग्रेस के काले कारनामे पर पहली प्रतिक्रिया के रूप में भाजपा के मुंह से 'दूध का दूध पानी का पानी' ही निकलता था!मतलब कि कोंग्रेसियों पर आरोप लगा नहीं कि जांच बिठा दो ताकि 'दूध का ढूध पानी का पानी' हो जाए.लेकिन उस वक़्त 'चुल्लू भर पानी' के मुहावरे को प्राप्त हो चुकी कॉंग्रेस तब भी 'दूध का दूध पानी का पानी' करवाने को हरगिज़ तैयार नहीं होती थी! इधर भाजपा 'पानी पी पी कर' दिन भर 'दूध का दूध पानी का पानी' वाला मुहावरा ठोकती रहती थी! दरसल उस वक़्त कॉंग्रेस के लिए 'दूध का दूध पानी का पानी' मुहावरा अनर्थकारी था सो उसने उसको पानी के साथ निगल कर भुला ही दिया था.
    चुनाव हुए. हालात बदले. मतदाताओं ने कॉंग्रेस को चुनावों में पानी पिला कर 'शर्म से पानी पानी' कर दिया और भाजपा को सत्ता सौंप दी.दूध का दूध पानी का पानी वाला मुहावरा भुला बैठी कॉंग्रेस जब विपक्ष में आ बैठी तो उसके रणबांकुरों ने पुनः झांड-पोंछ कर दूध का दूध पानी का पानी वाला मुहावरा विपक्ष की टेबल की दराज़ मेसे निकाला और पानी पी पी कर भाजपाईयों के सामने रटने लगे!अब बारी थी भाजपाईयों द्वारा इस मुहावरे को भूल जाने की,क्यूँ कि सत्ता के लिए ये मुहावरा अनर्थकारी जो था! सुषमा-वसुंधरा,मूंडे-तावडे, आदि इत्यादि के लिए कॉंग्रेसी 'दूध का दूध पानी का पानी' वाला राग अलापते रहे,लेकिन भाजपा इस मुहावरे को बिना पानी का घूंट पिए हलक से उदरस्थ करती रही! सत्ता की चौखट पर 'दूध का दूध पानी का पानी' मुहावरा फ़ैल हो गया! होना ही था! बात सीधी सी है. जब सामने मलाई रबड़ी खाने को पड़ी हो तो ऐसे में कोई क्यूँ ये याद रखे कि 'दूध का दूध पानी का पानी' किया जाए?मलाई-रबड़ी उड़ाने के मौके बड़ी मुश्किल से मिलते हैं, ऐसे में सिर्फ दूध को याद रखना मुफीद होता है! आखिर मलाई-रबड़ी दूध से ही बनती है! 'पानी' तो चुल्लू भर या शर्म से पानी पानी वाली स्थिति में हिस्से आना ही है,फिर भला सत्तासुख भोगते हुए क्यूँकर इस पर ध्यान दिया जाए!


   वैसे भी अब तक की कारस्तानियों से ये पक्का हो चुका है कि सत्ता में बैठे लोग कभी भी 'दूध का दूध पानी का पानी' कर ही नहीं सकते! वे सिर्फ दूध की मलाई,रबड़ी और कलाकंद खा कर हज़म ही कर सकते हैं! 'दूध का दूध पानी का पानी' करने का काम तो अवाम के हिस्से में है, और वो वक़्त आने पर ज़रूर करती है! 'दूध,मलाई,रबड़ी और कलाकंद' खाने वालों को ये ज़रूर याद रखना चाहिए!
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!! मारक मोदी-तारक मोदी !!

!! मारक मोदी-तारक मोदी !!
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    आजकल देश में 'मोदी' का बोलबाला है!एक मोदी देश को अच्छे दिनों की और लेजा रहा है तो एक मोदी देश में भूचाल ला रहा है!विदेश में बैठा मोदी ट्विटर नाम का लट्ठ लेकर हिन्दुस्तान के तथाकथित जनसेवकों के पीछे ऐसे पडा है कि राज महलों के सुख भोगते भोगते उन्हें दिन में तारे नजर आने लगे हैं!ये विदेश वाला मोदी 'मारक' के रोल में है,और हिन्दुस्तान में पब्लिक को गच्चा देने के माहिर नेताओं को ये विदेश वाला मोदी अब ऐसा गच्चा दे रहा है कि साँसे हलक में अटक गयी है!
   केंद्र सरकार का एक साल बड़ी शान्ति से,दागरहित गुजरा,और उसका जश्न अभी शुरू ही हुआ था कि विदेश में बैठे 'मारक' मोदी ने इनका बेंड बजाना शुरू कर दिया!इधर महाराष्ट्र में सत्ता का नया नया स्वाद चख रहे 'मूंडे-तावडे' आदि इत्यादि अति उत्साह में घोटालों के लपेटे में आ गए!जैसे 'मौनीबाबा' की कॉंग्रेसी सरकार के घोटाले एक के बाद एक खुलते गए और उसके अंतिम संस्कार के बाद ही बंद हुए वैसे ही,अभी भाजपा के राज में एक के बाद एक घोटाले और विदेशी 'मारकमोदी' के 'ट्वितीर' ने शांत समंदर को सुनामी के हवाले कर दिया है!
    इधर प्रधानमन्त्री 'तारकमोदी','मौनमोहन' की राह चल पड़े हैं!अपने चमकते-दमकते सितारों पर विदेशी 'मारकमोदी' के 'ट्वितीरों' पर उन्होंने चुप्पी साध ली है!इस चुप्पी को क्या समझा जाए? दुःख?! गुस्सा!!?? याकि डूबने वाले को पूरा डूब जाने तक चुपचाप देखने की कला!!!???
बहरहाल,विदेश में बैठा 'मारकमोदी',चाची-भतीजे,जीजी-जीजा आदि आदि को भी लपेटे में ले चुका है!अब आगे और किसका नंबर आने वाला है,ये ट्विटर महाराज ही बता सकते हैं!सत्ता में बैठ कर मलाई खाने वालों के लिए 'मारकमोदी' चुल्लू भर पानी का इंतजाम किये जा रहा है!
    इधर एक बात समझ नहीं आ रही,कि 'मौनीबाबा' के राज में कॉंग्रेस के काले कारनामों की जांच करवा कर दूध का दूध पानी का पानी करने की मांग करने वाले वर्तमान के सत्ताधीश,'मारकमोदी' के चेलों की जांच करवा दूध का दूध पानी का पानी क्यूँ नहीं कर लेते?क्या इसलिए तो नहीं कि ये दिन दूध की मलाई-रबड़ी खाने के हैं और ऐसेमें  उसमे से पानी को अलग करने का ख्याल नहीं आ रहा?

     जो भी हो,मजा तो तब आये जबकि दो-चार और 'मारकमोदी' विदेश में या देश में बैठे हों और सफ़ेदपाशों के काले कारनामें उजागर करते रहे!आखिर स्वच्छ भारत अभियान के लिए ये भी कोई कम कारगर नहीं है!
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