बुधवार, 27 मार्च 2013

!! संजू की सज़ा माफ़,काटजू को भारत रत्न !!

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......देश की छोटी-मोटी जेलों में बंद हज़ारों 'चवन्नी चोरों,विचाराधीनों और निरपराधियों' को नज़रंदाज़ करते हुए 'ममता बनर्जी' का कहना है कि वे 'संजू बाबा' के पिताजी स्वर्गीय श्री 'सुनील दत्त' के साथ बहुत काम कर चुकी है,उन्हें अच्छे से जानती है.इस लिए 'संजू बाबा' की सज़ा माफ़ की जानी चाहिए ! 'ममता बनर्जी' के इस बयान से राजनीति हलकों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी है,क्योंकि कईं स्वनाम धन्य 'नेताओं' के 'दाउद,गवली,राजा भैया' जैसी कईं महान हस्तियों से घनिष्ठ सम्बन्ध है,जिन पर 'फ़ालतू' के केस चल रहे हैं,अब उनकी सज़ा की माफ़ी की दरख्वास्त भी सरकार से सहज ही की जा सकेगी, जिससे उनकी भी तमाम सजाएं माफ़ हो और 'दिग्विजय' उन्हें भी 'भारतरत्न' दिए जाने की वकालत कर सकें ! 
......इधर शत्रुध्न सिन्हा, माननीय अमर सिंह,जयाप्रदा,जया बच्चन भी 'संजू बाबा' के अपनी बिरादरी का और पहचान का होने के कारण 'न्याय' को एक तरफ रखते हुए 'संजू बाबा' को सज़ा माफ़ी के लिए एडी-चोटी का जोर लगा रहे थे,अतः इस खबर से उनकी ख़ुशी का भी कोई ठिकाना ही नहीं है ! 
......सूत्रों की मानें तो न्याय व्यवस्था को 'ठेंगा' दिखाते हुए 'संजू बाबा' की सज़ा माफ़ कर दी गयी है! इस खबर से देश का 'बुद्धूजीवी' वर्ग बहुत खुश है,क्यों कि इससे 'देश' पर आई एक बड़ी आफत टल गयी है! ख़ास सूत्रों का कहना है कि 'संजू बाबा' की सज़ा माफ़ी से गदगद हो कर 'दिग्विजय सिंह' ने श्री 'काटजू' को 'भारतरत्न' देने की मांग सरकार से की है,क्यों कि श्री 'काटजू' ने अपने 'रिटायरमेंट' के बाद भी एक 'धांसू फैसला' देते हुए 'संजू बाबा' को माफ़ी देने का 'आदेश' दिया था, जिसे कोई भी टाल नहीं सका ! श्री 'दिग्विजय सिंह' की 'भारतरत्न' वाली मांग को मान लिए जाने की पूरी संभावना है ! 
......कल 'मुम्बई चौपाटी' पर एक बड़ी आम सभा का आयोजन भी रखा गया है,जिसमें मुम्बई बम काण्ड में मारे गए निरपराध लोगों के दुखी परिजनों को ये बताया जाएगा कि तुम्हारे अपने तो जो असमय काल के गाल में समा गए,अब इस दुनिया में है नहीं,तो फिर बेचारे 'संजू बाबा' को अब क्यों दुखी किया जाये! 'संजू बाबा' तो मासूम है,और उन्होंने दाउद या उसके हमनवाओं से 'दोस्ती' रख ली या 'ए के - 47 जैसे 'खिलोनें' रख लिए तो तो कौनसा बड़ा गुनाह किया है! इस सभा की अध्यक्षता श्री 'दिग्विजय' करेंगे और माननीय 'काटजू' मुख्य अतिथि की हैसियत से उपस्थित रहेंगे! वक्तागणों में अमरसिंह,शत्रुघ्न सिन्हा, जया बच्चन,जयाप्रदा सहित ममता बनर्जी भी सभा की शोभा बढ़ाएंगे! 
......इस लेख को 'होली' के रंग में और 'भंग की तरंग' में लिखा गया है.....कृपया आप भी इसी तरह पढ़ें और 'बुद्धूजीवियों' की तरह बिना बात 'टेंशन' में आने से बचें !!

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शुक्रवार, 22 मार्च 2013

!! संजू बाबा,अपराध और सज़ा !!


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......बीस साल के लम्बे इंतज़ार के बाद आखिर 'संजय दत्त' को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 'सज़ा' सुना दी गई. इस महादेश में यूँ तो हर रोज 'सालों' के इंतज़ार के बाद कईं फैसले होते हैं, लेकिन चूँकि ये एक 'सेलिब्रिटी' से जुडा मामला है, इसलिये इसकी चर्चा चारों तरफ है. 
......इस फैसले के बाद कईं लोगों को संजय दत्त 'मासूम' नज़र आ रहे हैं, तो कईं लोगों को फैसला देरी से सुनाए  जाने का गम है ! 'संजू बाबा' तो खैर दुखी है ही. उनका ये कहना कि इस सज़ा को मेरे 'बच्चे' और मेरी 'पत्नी' भी भुगतेगी, सही होते हुए भी कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि ऐसी बातें तो 'अपराध' करने से पहले ज़ेहन में आ जानी चाहिए! 
......बहरहाल,हमारे देश में 'सेलिब्रिटी' से जुड़े अपराधिक मामलों में फैसला, सज़ा के रूप में आना,महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी से 'कानून का राज' और 'न्याय व्यवस्था की सार्थकता' झलकती है. एक 'सेलिब्रिटी' को तो अपने आचरण का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि चाहे-अनचाहे उसका अनुसरण अनेक लोग  करते हैं, और अपना 'आदर्श' तक भी मानते  हैं. उनका आचरण 'समाज' को 'देश' को प्रभावित करता है ,और इसलिए उनसे बेहतर आचरण की उम्मीद की जाती है. 
......'सेलिब्रिटी' होने से या अपराध के बाद उपजी या दिखाने के लिये उपजा दी गई 'अच्छाईयों' से अपराध की गंभीरता कम हो जानी चाहिए, यह  कैसा तर्क है? जहां तक फैसले में अत्यधिक देरी की बात है, तो उसमें  क्या  सिर्फ अदालत का ही दोष  है? अक्सर गंभीर अपराधों के मामले में ये देखने में आता है कि अपराधी  और उसके  वकील की कोशिश ये रहती है कि कैसे भी करके मामले को इतना लंबा खिंचवा दिया जाए, कि समय  के साथ  गवाह,सुबूत और अंततः मामला ही इतना कमज़ोर हो जाए कि सज़ा की गुंजाईश ही ना रहे या फिर न्यूनतम  सज़ा ही मिल पाए ! क्या इस हकीक़त से नज़रें चुराई जा सकती है ? फिर आखिर क्यों सिर्फ न्याय व्यवस्था  को ही दोष दिया जाए ? 
......'संजय दत्त' के अपराध के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उसे देर से ही सही, उचित सज़ा सुना कर ना केवल न्याय की निष्पक्षता को ही सिद्ध किया है, अपितु कानून से ऊपर इस देश में कोई भी नहीं है, इस बात  को भी पुख्ता ही किया है. इस सिद्ध हो चुके अपराध के लिए मिली सज़ा पर हाय तौबा मचाने वालों को ज़रा उन लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए,जो निरपराध होते हुए भी तथाकथित 'कानून के रखवालों', 'शातिर' लोगों की 'चालों' और अपनी 'मजबूरियों-लाचारियों' के कारण विभिन्न जेलों में सालों से सड रहे हैं!
......कोई सेलिब्रिटी है या बड़ा आदमी है इसलिए उसका 'गंभीर अपराध' भी क्षम्य है या केवल सांकेतिक सज़ा के काबिल है और कोई गरीब,मजबूर,लाचार है इसलिए उसका 'छोटा' अपराध,या 'बिना अपराध' किये भी वह वर्षों तक जेलों में सज़ा भुगत कर सड़ता रहे,इस सड़ी हुई सोच को कब्र में दफ़न करके ही एक बेहतर समाज और देश की कल्पना की जा सकती.    
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शनिवार, 9 मार्च 2013

!! गुंडों की 'पोषक' व्यवस्था !!

.....'गुंडे' सिंहासनों की ओट में बेख़ौफ़ है.....कर्तव्यपरायण-देश भक्त लोग गुंडों के हाथों मारे जा रहे हैं.....सत्ता के सिंहासन पर बैठे 'दोगले' लोग, मार डाले गए देश भक्तों और कर्तव्यपरायण लोगों को चंद लाख रुपयों के चेक तथा तमगे दे कर मामले को ख़त्म करने की परम्परा निभा रहे है.....'गुंडे' फिर-फिर अपने कारनामें दोहराने लगते है......'सरकार' फिर-फिर चेक और तमगे बांटती है.....गुंडों की यह 'पोषक' व्यवस्था क्या कभी बदलेगी....????
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