!! देशभक्ति का खुमार !!
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देशभक्ति का हमारा सारा खुमार,
फुटपाथिया दुकानों पर सजे,
चमचमाते,सस्ते किन्तु घटिया
"चाईनीज" माल को देखते ही
उतर जाता है !
कुम्भकार द्वारा
मेहनत से बनाए गए
सुन्दर,पारंपारिक दीयों और
लाईट की देशी झालरों को देख कर
उबकाई आती है,
क्योंकि हमारी जीभ तो
"चाईनीज "माल देख कर ही
लपलपाती है !
कड़वा है,
किन्तु क्या करें...सच यही है !!
इस सच को स्वीकारे बिना
और फिर इसे झूठ में बदले बिना
देशभक्ति सही मुकाम नहीं पा सकती।
इस दिवाली जब
आपके-हमारे घरों में
दीपक जल रहे होंगे,
सरहद पर
आपके-हमारे लिए
शहादत देने वाले किसी
वीर शहीद के घर
मातम पसरा होगा,
घनघोर अन्धेरा होगा !
उस वीर शहीद को
लगी गोलियों में शायद
कुछ धन हमारा भी हो सकता है,
जो हमने
विदेशी घटिया माल खरीद कर
दुश्मन देश को दिया होगा !
इस दिवाली
किसी शहीद के घर की
देहरी को देखलें तो शायद
दिवाली के अर्थ भी समझ में आएं
और देशभक्ति के मायने भी !!
!! जय हिन्द !!