गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

!!! जय हिंद-2 !!!


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सारे बेईमान-भ्रष्ट आज फिर एक सुर में चिल्ला रहे हैं!
सी बी आई को अपनी जेब में रखने की तड़प सबसे ज्यादा उन्हीं बेईमानो-घपले बाजों में हैं,जिनका इतिहास सिर्फ और सिर्फ घपलों-घोटालों से भरा पडा है !
सांसद बन कर अपने आप को इस देश का माई-बाप समझ बैठे कुछ लोग ये भूल गए हैं कि उन्हें आखिर कुर्सी सौंपी किसने !
इस देश की जनता और उसकी आवाज़ को नज़रंदाज़ कर,अपने काले कारनामों को छुपाने,और अपनी गर्दन बचाने के लिए बेईमानों ने मिलकर चिल्लाना और खुद को सर्वोपरि बताना शुरू कर दिया है !
यह वक़्त देश की जनता के लिए चिंतन का है.....बेईमान-भ्रष्ट लोगों की चालों को समझने का है......सेवक से मालिक बन बैठे सफेदपोशों की पोल खोलने और उनको उनकी औकात दिखाने का है.....! ये मौके बार-बार नहीं आते......भारत माता की छाती पर बैठ कर मूंग दलने वाले हरामखोरो-बेईमानो और भ्रष्टाचार के सरगनाओं को धूल चटाने के लिए अब अवाम को कमर कसनी ही होगी....!! भारत माता की आज यही पुकार है....!!!
!!! जय हिंद !!! 
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!! बुझता दीपक !!


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केन्द्रीय मंत्री,श्री बेनी प्रसाद वर्मा ने दिग्विजय सिंह से प्रतिस्पर्धा करते हुए आज टीवी चेनलों पर 'अन्ना' के विरुद्ध ज़ोरदार ज़हर उगला है !
अन्ना को 'संघ' का आदमी.... बी जे पी का एजेंट,सेना का भगोड़ा और ना जाने क्या-क्या कह कर ''कांग्रेस' के एक सच्चे सिपाही का तमगा पाने की कोशिश की है !
लगता है अब 'कांग्रेस' के प्रति वफादारी दिखाने का सिर्फ एक ही रास्ता रह गया है,और वो है अन्ना और उनकी टीम को पानी पी-पी कर कोसना!
जो भी हो,'अन्ना' अब भारत के आम आदमी की आवाज़ बन चुके हैं,और बेईमानो-लुटेरों का 'भोंकना' अब आवारा फिरते'भोंकेवालों' के शोर से ज्यादा कुछ भी नहीं है !
बुझता दीपक फडफडाता है, और अन्ना के विरुद्ध उतरने वाले भी बुझते दीपक की फडफडाहट मात्र ही है!
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!!पैसों के पेड़ !!


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मनमोहन सिंह जी ने कहा है कि ''पैसे पेड़ पर नहीं उगते हैं ''!
बिलकुल दुरुस्त फरमाया हुजुर....
आम इंसान के लिए तो 'पैसे' कभी पेड़ पर उगे ही नहीं,क्योंकि 'पैसों के पेड़' तो सारे 'राजनेताओं' के बाप ही लगा कर गए हैं,जिनसे 'नेता' तोड़-तोड़ कर अपनी तिजोरियां और स्विस बेंक के खाते भर रहे हैं !!
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!!स्वागत !!


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पहले नेता देश की जनता की 'भलाई' के बारे में सोचते थे तो उनका स्वागत 'फूल-मालाओं' से होता था !
अब 'नेता' खुद की 'कमाई' के बारे में सोचते हैं तो उनका स्वागत 'जूतों और थप्पड़ों' से होता है !!
नेता बदले......जनता बदली.....स्वागत बदला.....!!
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एक 'थप्पड़' क्या पड़ी.......राजनीतिज्ञों,उद्योगपतियों,मंत्री-संतरियों,चेलो-चपाटों-चमचों का हुजूम उमड़ पडा 'हाल-चाल' जानने को !
रोज-रोज महंगाई के थप्पड़ और लात-घूंसे खा रही जनता का हाल जानने ये ''ढोंगी'' क्यों नहीं आते ??!!
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!!चोरो की फौज !!


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        भ्रष्टाचार में ऊपर से निचे तक सने हुए,बेईमान लुटेरों,कुर्सी चिपकुओं का गिरोह पूरी ताकत से लगा हुआ है,'टीम अन्ना' को तोड़ने और अपनी दागदार कमीज़ को बचाने में.
        पिछले साठ वर्षों में भारत माता का हज़ारों करोड़ रुपया डकार जाने वाले सफेदपोश खद्दरधारियों की डकैतियों की कहानिया ज्यों-ज्यों बाहर आ रही है,सत्ता की चूलें हिल रही है,और सत्य बोलने वालों को हर हाल में चुप करने के ओछे से ओछे प्रयास कुर्सियों पर बैठे भ्रष्टाचार के रिकोर्डधारियों के द्वारा किये जा रहे हैं.
       यह समय भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़े लोगों का पुरे जोश और ताकत से साथ देने का है.अगर इस समय इस आन्दोलन में थोड़ी भी कमजोरी आ गयी,जिसकी पूरी कौशिश ''चोरो की फौज'' करने में जी-जान से जुटी हुयी है,तो फिर भारत माता छली जाने से कभी नहीं बच पाएगी !
       किरण बेदी की तरह और भी कई सच बोलने वालों को सताया जाएगा.लेकिन 'अन्ना' के आन्दोलन को हरगिज़ ठंडा नहीं पड़ने देना है.
भ्रष्टाचार से आजिज़ आ चुके हर भारतवासी को,किरण बेदी जैसे प्रताड़ित आरोपियों पर नज़रे टिकाने की बजाय,सत्ता में बैठे 'लुटेरों' की ही सतत निगरानी करनी होगी,तभी भारत माता को भ्रष्ट-बेईमान शासकों के चंगुल से बचाया जा सकेगा.
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!!वालमार्ट स्वागत गीत !!


*''वाल मार्ट''
आओ,
तुम्हारा स्वागत है !
क्या हो गया जो
देशवासी आहत है !!
आओ-आओ
तुम तो आओ
दो-चार संगी-साथी
और साथ लेके आओ,
'सोने की चिड़िया' में
अभी 'जान' बाकी है,
यहाँ के
नेताओं के साथ मिलकर
तुम भी इसे खाओ !!
आओ 'वाल मार्ट' आओ !!!
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!! धोबीघाट !!


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न ये घर के रहेंगे, न ही घाट के रहेंगे !
आज जो मखमल के है,कल टाट के रहेंगे !!
बच के रहना इनसे,है 'नेता' ये कमाल के,
कुर्सी की खातिर इंसानों को ये बाँट के रहेंगे !
चाहो तो देख लो उठा के इतिहास इनका,
दीमक बन कर देश को ये चाट के रहेंगे !
करना ना ऐतबार कभी,वादों पे इनके यूँ ही 
बात अपनी ही एक दिन ये काट के रहेंग !
'चोर' है पुराने,ऐसे ही कहाँ मानेंगे 'अशोक',
'स्विस' बेंक को 'नोटों से ये पाट के रहेंगे !
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!!अक्ल की सख्त ज़रूरत है!!


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इस देश की छाती पर बैठ कर मूंग दलने वालों ने इस देश और उसकी अवाम को अपने बाप की जागीर समझ रखा है !
वे गरीब का खाना-पीना महँगा करेंगे.....,
आना-जाना महँगा करेंगे.......,
वाल मार्ट लायेंगे.......,
या अरबो-खरबों का घोटाला कर माल बनायेंगे.......उनकी मर्ज़ी...!
बस अवाम ना बोले !! अवाम मुंह पर ताला लगा कर इन 'बेईमानों' के काले कारनामे पिछले सांठ वर्षों से जैसे देखती आ रही है,बस अभी भी देखती रहे......तो ये 'आधुनिक राजे-महाराजे' बहुत खुश !!
'सोशियल साईट्स ' पर जब अवाम का 'मन' खुल कर प्रकट होने लगा तो इन सफेदपोशों को नानी याद आने लगी है !इनकी पोल का ढोल जब कम्प्यूटरों के पर्दों पर चोबिसों घंटे सत्य बन कर बजने लगा तो 'बेईमान बहरों' के कानों के पर्दे फटने लगे !! 
कुत्ता,डंडे को देख कर काटने की अंतिम कोशिश ज़रूर करता है......लेकिन अंततः दुम दबा कर भागना ही उसकी नियति होती है !!
फूल -मालाओं से हो कर गालियों-जूतों -थप्पड़ों तक पहुंचा लोकतंत्र आखिर किसकी देन है !? जिनको इस बात पर सोचना चाहिए,वे अवाम की जुबां पर ताला लगाने की जुगत में लगे हैं !
दोस्तों,इस देश के 'कुछ मूर्खों' को अक्ल की सख्त ज़रूरत है.....कहीं बंट रही हो तो 'फेस बुक' पर ज़रूर बताईयेगा......आज-कल 'फेस बुक' 'उनकी' नज़र में है,वे पढ़ कर ज़रूर आयेंगे.
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!! जय हिंद-3 !!

'अफज़ल' को फांसी दी तो
'कश्मीर' जल जाएगा,
'कसाब' को 'लटकाया' तो 
'पडोसी' रूठ जाएगा..... !
और 'आतंकवाद' को 
कुचल दिया तो 
'वोट-बेंक' टूट जाएगा !!
बहुत संकट में है
'बेचारे' 'हुक्मरान',
'कुर्सी' की खातिर
बेच खा रहे 
अपना धर्म-ईमान !!
लेकिन
बकरे की माँ 
आखिर कब तक 
खैर मनाएगी....... ,
एक दिन तो 
'गद्दारों' की 
पोल ज़रूर ही 
खुल जायेगी.....!
तब 'देशद्रोही-कातिल'
ज़रूर 'लटकाए' जायेंगे,
और 
उनके 'सरपरस्त'
'कुर्सियों' से उठा कर
इतिहास के कूड़ेदान में 
फेंक दिए जायेंगे !!
और तभी, 
कातिलों के हाथों
मारे गए, 
इस देश के
तमाम बेकसूर 
देशवासी, 
सच्ची श्रद्धांजलि 
पायेंगे....!!!
********  !!  जय हिंद!! ********

!! मेरा सच भी तो बस आधा है !!


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कोई है कम,और कोई ज्यादा है,
हर एक यहाँ लूट पे आमादा है !
सच ये कडवा ही सही,मगर
आज बस कह देने का इरादा है !
मैं भी कहाँ हूँ धुला हुआ दूध का,
मेरा सच भी तो बस आधा है !
घुस आया घर में 'बिग बॉस' कैसा,
बताये तो कोई,कहाँ मर्यादा है !
ये लोकतंत्र है कि बिसाते-शतरंज,
राजा,कोई वजीर,तो कोई प्यादा है !
पहन कपडे कड़क जो बैठा है कुर्सी पे 'अशोक'
यक़ीनन किसी गली का गुंडा या दादा है !
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!!तुझे तेरे गाँव ने पुकारा है !!



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आबो-हवा और संस्कारों से उसने मुझे संवारा है,
जैसा भी है गाँव मेरा,मुझको बहुत ही प्यारा है !
शहर से है पहचान मेरी,कुल जमा चार दिन की,
गाँव ने तो पीढ़ियों को बड़े लाड से दुलारा है !
करने लगे जब शहर बैचेन,परेशां,तनावग्रस्त,
समझलेना ऐ दोस्त तुझे तेरे गाँव ने पुकारा है !
एक रोया तो सब रोये,एक हंसा तो सब हँसे लिए,
नहीं कोई मज़ाक भाई,ये मेरे गाँव का नज़ारा है !
शहरों के समंदर में बस लहरों की सौगाते हैं,
मेरा गाँव बाद सफ़र के मुकम्मल एक किनारा है !
ये ग़ज़ल है,या कविता?मुझको ये मालूम नहीं,
मैनें तो जो दिल ने कहा,वो कागज़ पे उतारा है !
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!! आम आदमी !!


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'आम' आदमी,
'आम' ही रहा
कभी 'ख़ास' नहीं हुआ !
'ख़ास' आदमी के लिए 
ज़रूरी है 
'आम' आदमी का 
'आम' बने रहना !!
एक ऐसा 'आम'
जिसे 'ख़ास' आदमी 
पूरा का पूरा 
चूस सके 
अपनी 'खासियत'
बचाने के लए...!
'आम' आदमी
बना ही है बेचारा
चुसे जाने के लिए.....!!
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!! ख़बरदार !!

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ख़बरदार...!!
चुप रहना....!!!
'चोरों-बेईमानो' को
'चोर-बेईमान' मत कहना....!!!
'वे' आयेंगे.....!
गिडगिडाएंगे ...!!
'वोट' ले जायेंगे...!!!
'कुर्सी' से चिपक जायेंगे....!!!!
देश का धन लूट खायेंगे....!!!!!
कुल मिला कर
भ्रष्टाचार के
तमाम रिकार्ड तोड़ डालेंगे,
और
अवाम की किस्मत फोड़ डालेंगे....!!!!!!
लेकिन
ख़बरदार...!!
तुम कुछ ना कहना,
चुप रहना....!!!
'चोरों-बेईमानो' को
'चोर-बेईमान' मत कहना....!!
'वे'
ठोंक कर सीना
राज करेंगे.......!
'घर' की तिजोरी
और
'स्विस' के 'खाते' भरेंगे.....!!
'२ जी-३ जी' में पेट भर खायेंगे.......!!!
जानवरों का
'चारा' तक 'चर' जायेंगे.......!!!!
'पांच सालों' में
अपनी 'दस पीढ़ियों' का
'भला' कर जायेंगे........!!!!!
लेकिन
ख़बरदार...!!
तुम सबकुछ सहना,
चुप रहना....!!!
'चोरों-बेईमानो' को
'चोर-बेईमान' मत कहना....!!
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बुधवार, 28 दिसंबर 2011

!!राक्षस !!

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भगवान् का दूसरा रूप कहे जाने वाले डाक्टर,राजस्थान में पिछले 7 दिनों से हड़ताल पर है.
डाक्टरों के हड़ताल पर जाने से 60 से ऊपर मरीज इलाज़ के अभाव में बेमौत मारे जा चुके हैं !
भरपूर वेतन,और अनेकानेक सुविधाएं सरकार से पाने वाले डाक्टरों की हड़ताल का कारण,कम वेतन को बताया जा रहा है !
भगवान् का दुसरा रूप कहे जाने वाले डाक्टरों का,मात्र 'धन' के लिए यूँ 'राक्षस' बन जाना क्या ठीक है ?
थोड़े दिनों बाद कुछ डाक्टर झुकेंगे,कुछ सरकार झुकेगी और हड़ताल टूट जायेगी,लेकिन उन मरीजों का क्या जो असयम इलाज़ के अभाव में काल के गाल में समा गये !?
किसी का बेटा,बेटी,बहू,पति,पत्नी,माँ,पिता.....जो इन गैर ज़िम्मेदार डाक्टरों और सरकार की वजह से अपने परिवार को छोड़ गए-उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा??
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गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

!! रात !!

*** रात ***
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'रात', 

रात-रात भर

जागती है,  

 इंतज़ार में 'चाँद' के !
'रात' वफ़ा की मिसाल है !
चाँद आता नहीं 
हर रोज !
'चाँद'  
आता है 
कभी-कभार,
कभी जल्दी,
कभी देर से !
और कभी 
आता ही नहीं !
'रात', 
फिर भी करती है 
हर रात 
शिद्दत से इंतज़ार 
'चाँद' का !!
'चाँद' बे-वफ़ा है,
फिर भी कम नहीं होती 
वफ़ा 'रात' की !
'रात', 
रात-रात भर जागती है 
इंतज़ार में चाँद के !
लेकिन, 
चाँद जब नहीं आता
तो रोती है जार-जार 
'रात',
रात भर !!
लेकिन हम 
देख नहीं पाते 
आंसू 'रात' के !
क्योंकि 
हम देख नहीं सकते
'रात' को  
रात में.
लेकिन हाँ,
हम महशूस    
कर सकते हैं 
रोती हुयी 'रात' को,
उस रात, 
जब चाँद नहीं आता.
रोती हुयी 'रात' 
अपनी ऑंखें 
करती है नम 
और 
चाँद के ना आने से 
हो जाती है 
ग़म में और काली. 
लेकिन 
बे-वफ़ा नहीं होती 
'रात'......!!
'रात' हर रोज आती है 
इंतज़ार में चाँद के......
चाँद चाहे आये ना आये....!
रात बे-वफ़ा नहीं होती !!!

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