!! बेचारा इंसान !!
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कुत्ता
कुत्ता ही रहा!
भौंकता रहा,
काटता रहा,
दुम हिलाता रहा,
वफादारी निभाता रहा.
कुत्ते ने कभी
इंसान बनने की
कौशिश नहीं की.
कुत्ता
कुत्ता ही बना रहा,
पूरा कुत्ता.
इंसान
इंसान ही था.
बहुत समय तक
इंसान,
इंसान ही
बना रहा.
फिर
इंसान ने
कुत्ता बनना शुरू किया
वो भौंकने लगा,
काटने लगा,
दुम भी हिलाने लगा ,
लेकिन
वफादार नहीं
बन पाया!
कुत्ता बनने की कौशिश में
इंसान
न तो
पूरा कुत्ता बन पाया,
ना ही पूरा
इंसान ही रह पाया!
आधा इंसान,
इंसानियत के बगैर !
आधा कुत्ता,
वफादारी के बगैर !!
बेचारा इंसान!!!!!!!!
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Bahut Sunder Rachana sir
जवाब देंहटाएंDhananajay Mishra
ब्लोग की दुनियां में
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है अशोक जी !
बधाई हो !
शानदार प्रवेश !
सुंदर ब्लोग !
रचनाएं भी प्रभावित करती है!
जनाब अशोक जी ,ब्लॉग के लिए मुबारकबाद .रचना बहुत गहराई लिए हुए है .पाठक के भीतर तक उतरती है .
जवाब देंहटाएंधनंजय जी,शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंओम जी भाई साहब,मेरे ब्लॉग पर पधारे,आशीर्वाद दिया--आपका तहेदिल से आभारी हूँ.समय-समय पर आप टिप्पणी दे कर,सुझाव दे कर मार्गदर्शन करते रहेंगे,यही आशा रखता हूँ.
जवाब देंहटाएंरफत साहब,मेरी हर रचना पर आप टिप्पणी करके उसे सार्थक कर देते हैं,शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार रचना :):):)
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