गुरुवार, 8 सितंबर 2011

!!बम ब्लास्ट पर !!

-- दिल्ली हाईकोर्ट में बम ब्लास्ट पर --
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चीखना मत,चिल्लाना मत
रोना मत,
कितनी ही बेदर्दी से कुचले जाओ
आहत होना मत !
.ध्यान रखना-
देश के भाग्य विधाताओं से
जुबां तुम्हारी
कोई सवाल ना कर पाए.....
कहीं उनके 'विशेषाधिकारों' का
हनन ना हो जाए !!
चुप रहना,सह लेना
अपनी नियति मान कर
पड़े रहना,
कभी मुम्बई में
कभी दिल्ली में 
आतंकियों की
गोली खाने को
लाईन लगा कर
खड़े रहना !!
उनको राजनीति करने देना,
अस्पताल में घायलों को
तड़फ-तड़फ कर
मरने देना !
ध्यान रखना-
देश के भाग्य विधाताओं से
जुबां तुम्हारी
कोई सवाल ना कर पाए.....
कहीं उनके 'विशेषाधिकारों' का
हनन ना हो जाए !!
आतंकियों को
'अधिकार' है,
वे बम फोड़ते रहेंगे !
तुम्हारा 'कर्तव्य' है
तुम मरते रहो !!
गुनाहगार
'अफज़ल'-;कसाब'
''इन्साफ'' के लिए
ठाठ से इंतज़ार करेंगे,
बेगुनाह
भारत वासी
बस यूँ ही बेमौत मरेंगे !!
ध्यान रखना-
देश के भाग्य विधाताओं से
जुबां तुम्हारी
कोई सवाल ना कर पाए.....
कहीं उनके 'विशेषाधिकारों' का
हनन ना हो जाए !!
हर धमाके के बाद
प्रधानमन्त्री
तोते की तरह बोलेंगे--
''ये कायराना हरकत है'' !
तुम मत पूछना--
''आपने कब हिम्मत दिखाई ?''
'वे कहेंगे--
''हम हारे नहीं है.''
तुम मत पूछना--
''आप कब जीतोगे ?''
वे कहेंगे--
''सब पार्टियों को एक हो जाना चाहिए''
तुम मत पूछना--
''अपनी पगार और भत्ते बढानें में
सब पार्टियां कब अलग थी ?'' 
वे ''चवन्नी'' भर
मुआवजा देंगे,
तुम लेकर
ख़ुशी-ख़ुशी घर जाना,
बस
ध्यान रखना-
देश के भाग्य विधाताओं से
जुबां तुम्हारी
कोई सवाल ना कर पाए.....
कहीं उनके 'विशेषाधिकारों' का
हनन ना हो जाए !!  
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