शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

!! कमाल है !!



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कमाल है !
हज़ारों
सवाल है !!
ज़वाब है गिनती के 
और
हाल बेहाल है !!!
कमाल है !
महंगाई ने
कर दिया है
छिन्न-भिन्न,
रोटी के सामने
लग गया है
प्रश्न चिन्ह !
थाली से गायब 
अरसे से ही 
सब्जी-दाल है,
कमाल है !
कैसा दूध !?
कैसी चाय !?
कॉफी ने भी
कह दिया बाय !
घी-तेल पर 
पहले से ही
मचा बवाल है,
कमाल है !
कनिमोड़ी-कलमाड़ी 
कलयुगी राजा,
देश का खूब
बजाया बाजा !
'मनमोहन' के
मंत्री-संत्री
मचा रहे
धमाल है,
कमाल है !
मेहनतकश,
हरामखोरों से
थक गया है,
गरीब का पेट
भूख से
पिचक गया है !
'कुर्सी' पर विराजित
सफेदपोशों के
टमाटर जैसे
लाल गाल है,
कमाल है !
खरगोश-बकरी
मर रहे हैं,
बिच्छू-सांप
राज कर रहे हैं !
भेड़ियों के तन पे
भेड़ की खाल है,
कमाल है !
हज़ारों
सवाल है !!
ज़वाब है गिनती के 
और
हाल बेहाल है !!!
कमाल है !
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