***************************************************************
सर्दी का मौसम है.....कडाके की ठण्ड पड़ रही है.....!
स्वेटर,मफलर,कम्बल-रजाई के सहारे दिन-रात गुज़र रहे हैं !
चाय की चुस्कियों ओर अलाव ने जिंदगी को सहारा दे रखा है !
नलों का पानी ओर लोगों की जिंदगी दोनों ही जम से गए हैं !
बदलते लोगों के साथ मौसम भी बदलने लगा है !
इंसानों में 'इंसानियत' ना रही ओर मौसम में 'मौसमियत' ना रही !! दोनों का मिजाज़ बदल गया है !
इंसान से मौसम दुखी है......ओर मौसम से इंसान दुखी है ...!!
इंसान से मौसम दुखी है......ओर मौसम से इंसान दुखी है ...!!
इसी सर्द मौसम में एक मौसमी कथा,जो कितनी सच के करीब है---आप तय करें.
चार दोस्त.पक्के दोस्त.रोज साथ उठना-बैठना.
चारों मेसे तीन दोस्त खाते-पीते परिवार वाले ओर चौथा दोस्त मुझ जैसा फक्कड़....फटीचर...!लेकिन दोस्ती पक्की!
सर्दी की एक शाम......रोज की तरह चारों दोस्तों के मिल-बैठने का समय...!
तीन दोस्त इकट्ठे हो चाय की थडी पर 'कटिंग' का मज़ा लेते हुए बतिया रहे हैं...!चौथा दोस्त आज वक़्त पर पहुंचा नहीं है!
तीन मेसे एक बोला--'यार ऐसी ठण्ड में मैं तो घर का हीटर चौबीसों घंटे 'ऑन'ही रखता हूँ...घर में तो मुझे पता ही नहीं चलता कि ठण्ड है भी या नहीं !!'
दूसरा दोस्त बोला--'अरे यार,हीटर तो मैं भी चौबीसों घंटे शुरू रखता ही हूँ,साथ में गरमा-गर्म हलवा,बादाम मार के और उबलती हुई चाय का दौर भी दिन भर चलता ही रहता है....!!'
तीसरा दोस्त बोला-- 'अरे यार यही हाल मेरा भी है......मैं भी ऐसे ही अपना घर गर्म रखता हूँ.....साथ में इस बार तो 'वाईफ' से कह कर 'स्पेशल' बादाम,देशी घी ओर सौंठ के लड्डू भी बनवा दिए हैं.....अब स्साली कैसी ठण्ड....!!
अरे यार 'वो' फटीचर कैसे करता होगा ठण्ड का सामना...!!उसके घर पर ना तो 'हीटर' है...ना ही बादाम,घी,सौंठ के लड्डू....'मक्की' की रोटी भी बेचारे को बिना घी के ही नसीब होती है...!!! हा...हा......हा......!!तीनों दोस्त ठहाका लगा कर हँस पड़े.!!
तभी चौथा दोस्त भी आ गया....पतले शर्ट और पेंट में.....रोज का स्वेटर और मफलर भी आज तन से गायब था....!चाय की थडी वाले ने उसे भी 'कटिंग' पकड़ा दी.
तीनों दोस्त एक साथ बोल पड़े '.....अबे कहाँ रह गया था....फक्कड़...!'
'अबे कल तुम तीनों कहा मर गए थे'.....चौथे 'फक्कड़' दोस्त ने चाय की चुस्की लेते हुए उलटा प्रश्न दाग दिया.
'अरे यार कल तो हम ठण्ड उड़ाने 'बार' में चले गए थे.......अब तू तो 'पीता-पिलाता' नहीं.......तो तुझे कहा भी नहीं !'एक दोस्त टेढ़ी मुस्कान के साथ बोल पडा.
'और तू आज कहाँ अटक गया यार......बिना स्वेटर-मफलर के 'पहलवान' बना चला आ रहा है.......!!'
'अरे कुछ नहीं यार....बीच रास्ते में फुटपाथ पर पडा एक बूढा ठण्ड से कांप रहा था.....हाथ लगा कर देखा तो बुखार से सिक रहा था.....जैसे-तैसे उठा कर उसे अस्पताल पहुंचा आया हूँ........बेचारा ठण्ड से कांप रहा था......मफलर ओर स्वेटर की उसे ज्यादा ज़रूरत थी......' उसकी आवाज़ भर्रायी हुई थी!
स्वेटर,कोट,मफलर में लिपटे तीनों दोस्तों को ठण्ड ने 'ठंडा' कर दिया था.....चौथा दोस्त शर्ट ओर पेंट में भी गर्माहट महसूस कर रहा था.....!!!
***************************************************************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें