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.....अंधभक्ति ने इस देश का बहुत ही नुकसान किया है !
.....विशेषकर सामाजिक,धार्मिक और राजनैतिक अंधभक्ति ने एक ऐसा वातावरण निर्मित कर दिया है,जिसमें आज हर किसी का दम घुट रहा है,सभी को शुद्ध हवा की ज़रूरत है,लेकिन शुद्ध हवा की तलाश की पहल बहुत ही कम है !
.....सामाजिक और धार्मिक अंधभक्ति की बात तो किसी और दिन करेंगे ,आज ज़रा राजनैतिक अंधभक्ति पर गौर कर लिया जाए,क्योंकि आजकल इसी के कारण वातावरण बड़ा दूषित हो रहा है.
.....राजनैतिक अंधभक्ति ने आँखें तो खुली रखी है किन्तु दिमागों को बंद कर दिया है !यहाँ भ्रष्ट-बेईमान ''नेता' देवता बन बैठे हैं,और ''विचारधाराओं-पार्टियों'' ने धर्म का रूप ले लिया है !इस खतरनाक स्थिति ने देश को डुबोने का पूरा इंतजाम कर रखा है !
.....सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्ष नेताओं के नाम रोज-रोज नए-नए घपलो-घोटालों में उजागर हो रहे हैं,अदालतें उन्हें जेल की हवा खिला रही है,सबूतों सहित आरोपों की झड़ी इन पर लगी हुई है,लेकिन लोगों की 'अंधभक्ति' ने उन्हें बचा कर रखा हुआ है ! देश हित से ऊपर नेताओं और पार्टी विशेष को मानने की मानसिकता अब भी हावी है,और इसी कारण व्यवस्था परिवर्तन में कठिनाई आ रही है.
.....नेताओं और पार्टियों के 'अंध भक्तों' को अब अपनी आँखों के साथ साथ दिमाग को भी खोल देना चाहिए,और अपने प्रिय नेताओं-पार्टियों का आकलन ''देश'' को सामने रख कर करना चाहिए--यह समय की मांग है.
.....'अन्ना और रामदेव' का समर्थन करने वाले लोग भी आखिर वोट तो देते ही होंगे....किसी ना किसी पार्टी के समर्थक भी होंगे ही...,लेकिन उन्होंने 'अंधभक्ति' छोड़ कर खुली आँखों के साथ 'दिमाग' को भी खोल रखा है,और यह देश हित में स्व-चिंतन का ही परिणाम है कि अवाम का एक बड़ा हिस्सा देश को सर्वोपरि मान कर जन-आन्दोलन का हिस्सा बन रहा है.
.....देश का दुर्भाग्य देखिये,कि 'रुपया' और 'नेताओं' में रिकार्ड गिरावट आई है....! रुपया तो फिर भी रुपया है,और उसके 'उठने' की भी संभावना बनी ही रहती है,किन्तु गिरे हुए 'नेताओं' के उठने में सिवाय संदेह के कुछ बचा ही नहीं है !! इस लिए आज ज़रूरी है की नेताओं-पार्टियों की अंधभक्ति छोड़ी जाए और अपनी आँखों के साथ-साथ अपने दिमाग भी खोले जाएँ,ताकि जो 'गिरे' हुए हैं वो भले ही 'गिरे' रहें,कम से कम हमारा देश तो हमेशा सर उंचा कर के खडा रह सके !!!
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अच्छा परिभाषाएँ दी हैं आपने!
जवाब देंहटाएंडाक्टर साहब,धन्यवाद.
हटाएंबहुत ही सटीक लिखा हे आपने ... आभार
जवाब देंहटाएंसदा जी,
हटाएंशुक्रिया.
जवाब देंहटाएं♥*♥
बंधुवर अशोक पुनमिया जी
नमस्कार !
विचारणीय आलेख है … आभार !
मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
राजेन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंआभार आपका.