गुरुवार, 26 जुलाई 2012

!! 'हिंदी' !!

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'हिंदी'
तुम बनी ही हो
बेईज्जत किये जाने के लिए !
न्यायालयों से ले कर
राष्ट्रपति भवन तक....,
और
संसद से ले कर
विधान सभाओं तक....,
कंधे उचका-उचका कर
टेढ़ी मुस्कानों के साथ
देश के कर्णधार
करते रहते हैं
तुम्हारा ''चीरहरण'' !!
लोटते हैं जो
विदेशी भाषा के
चरणों में,
और
गर्व नहीं जिन्हें
अपनी राष्ट्र भाषा पर,
'वे' क्या
गौरव बढ़ाएंगे,
स्वाभिमान बचायेंगे
अपने देश का.....,
अपने देशवासियों का ....!!
राष्ट भाषा,
राष्ट्र गौरव,
राष्ट्र स्वाभिमान को
ताक पर रखने वालों को
याद रखना चाहिए,
'क्रान्ति'
नहीं होती सत्ता से....!!!
क्रान्ति होती है
राष्ट भाषा,
राष्ट्र गौरव,
राष्ट्र स्वाभिमान
से ओत-प्रोत
अवाम से,
और तब
''मुखोटे''
होते हैं
इतिहास के
कूड़ेदान में !!!

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