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प्यार,मुहब्बत,इश्क,वफ़ा तू करके देख !
कसमो-वादों की गली से गुज़र के देख !!
नज़रों से नज़रें मिला कर हासिल क्या,
दिलबर को कभी बाहों में भी भरके देख !!
कर ना पायेगा जुल्मों-सितम तू कभी,
अपने खुदा से बस थोड़ा सा डर के देख !!
देकर खैरात मुफलिसों को ना भाग यूँ,
ज़ख़्म उनके दिल के कभी ठहर के देख !!
घूमता है बन कर 'मुंसिफ' तू खूब 'अशोक',
मसले ज़रा अपने भी कभी घर के देख !!
कसमो-वादों की गली से गुज़र के देख !!
नज़रों से नज़रें मिला कर हासिल क्या,
दिलबर को कभी बाहों में भी भरके देख !!
कर ना पायेगा जुल्मों-सितम तू कभी,
अपने खुदा से बस थोड़ा सा डर के देख !!
देकर खैरात मुफलिसों को ना भाग यूँ,
ज़ख़्म उनके दिल के कभी ठहर के देख !!
घूमता है बन कर 'मुंसिफ' तू खूब 'अशोक',
मसले ज़रा अपने भी कभी घर के देख !!
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क्या कहने सर जी
जवाब देंहटाएं---You Might Like---
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2. ग़ज़लों के खिलते गुलाब
प्रजापति जी धन्यवाद.
हटाएंखामी की और ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया.वैसे मैंने इस खामी को दूर करने का प्रयत्न किया था,ल्र्किन शायद पूर्ण सफलता नहीं मिली.पुनः प्रयास करूंगा.
आपके ब्लॉग से CTRL+A करके स्लेक्ट हो जाता है जिससे कापी की सम्भावना रहती है तकनीक दृष्टा से नयी स्क्रिप्ट । विधि लेकर प्रयोग करें।
जवाब देंहटाएंप्रजापति जी धन्यवाद.
हटाएंखामी की और ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया.वैसे मैंने इस खामी को दूर करने का प्रयत्न किया था,ल्र्किन शायद पूर्ण सफलता नहीं मिली.पुनः प्रयास करूंगा.
बहुत सुन्दर ...वाह
जवाब देंहटाएंराजेश कुमारी जी,
हटाएंहोसला बढाने के लिए धन्यवाद.