*************************************
.......आज
आवश्यकता इस बात की है कि 'पुरानी घाघ पार्टियों' का जो 'चश्मा' हमने लगा
रखा है,उनकी 'बेईमानियों' को देखते हुए उसे उतार फेंक देना चाहिए,और इस देश
के लिए जो नयी 'बयार',जीवन रक्षक के रूप में बह रही है,उसे अपनाया जाना
चाहिए !
......देश को खोखला कर के रख देने वाले राजनैतिक दलों का आखिर पल्लू
क्यूँ थाम कर रखा जाए ? क्या 'देश हित' से बड़ा किसी भी राजनितिक पार्टी का
हित हो सकता है,या कि समझा जाना चाहिए ? पार्टीयों के पहने हुए 'चश्मों' ने इस देश का बहुत नुक्सान किया है,क्योंकि उन
पार्टियों की हर 'काली करतूत' को हम माफ़ करके अपनी 'पार्टी-भक्ति' ही
दिखाते रहे हैं !
...... 'देश हित' स्वतन्त्र चिंतन मांग रहा है.
......यही सही वक़्त है
कि विवेक जागृत कर सोचा जाए कि अब तक जिन पार्टियों के हम अंध भक्त बन कर
'वोट बेंक' बने रहे,आखिर उन पार्टियों ने इस देश को कहाँ पहुंचाया ? इस देश
के आम इंसान के लिए उसने क्या किया ?? 'लोकतंत्र' पर 'बेईमान तंत्र' का लेबल
किसने मज़बूती से चस्पा कर दिया ???
......पार्टी विशेष की अंधभक्ति और चापलूसी से
ऊपर उठ कर देशहित को सर्वोपरि रखने वाला ही इस देश के प्रति अपने फ़र्ज़ को
निभा पायेगा............!!!!!
*************************************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें