सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

!! राजस्थान विधानसभा और भूतों का भय !!

   विधान सभाओं में बैठ कर राज्य का भविष्य लिखा जाता है.किन्तु आजकल  "राजस्थान विधान सभा " में बैठ कर  "भूतों " का लेखाजोखा किया जा रहा है !चार सालों तक सोये हुए  'भूत अब पांचवें साल में अचानक जाग गए हैं !लोगों को इसमें आश्चर्य हो रहा है,जबकि इसमें आश्चर्य की कोई बात ही नहीं है !अक्सर ही ऐसा होता है कि जनता चार सालों तक सरकारों के खेल देखती रहती है,और पांचवें साल में,जब चुनाव सामने दिख रहे होते हैं,सरकारों से कामों का हिसाब मांगने लगती हैं !अब ऐसे में  'भूतों का जागना लाजमी ही है ! 

  चार सालों तक विधान सभा में विराजमान महानुभावों को जिन  'भूतों ने नहीं सताया,उन्हें यकायक अब पांचवे साल में भूतों ने सताना शुरू कर दियातो जरूर कुछ तो गड़बड़ है ! सम्भव है कि राजस्थान की विधान सभा में बैठे राजस्थान के कईं भाग्य विधाताओं को अब अगले चुनावों में स्वयं अपने 'भूत(पूर्व)हो जाने का डर सता रहा हो और ऐसे में अगर  'भूत याद आ जाए तो आश्चर्य कैसा ?!

     वैसे भारत जैसे महादेश में,जहां  "घाघ और महाभ्रष्ट नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स का गठजोड़", 'माल्याओं और नीरव मोदियों के बहाने,अवाम के पैसों को मिलबांट कर खाने में निपुणता प्राप्त कर चुका हो,वहां भला उनसे भी बड़ा कोई  'भूत हो  भी सकता है ?!चुनाव के पांचवें साल में अवाम को ये बताना कि विधान सभा में  'भूतों का डेरा है,ये  “असली वर्तमान भूतों” से ध्यान हटाने की हास्यापद कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं हो सकती,ये अवाम जानता है ! देश को मिलबांट कर खाने वाले  "घाघ और महाभ्रष्ट नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स " के नामों के पीछे एक समय  "भूतपूर्व " जरूर लगता है.ये बस शब्दों का खेल है  “भूतपूर्व” को पलट कर पूर्व भूत” कर दें तो सारी गुत्थी सुलझ जाती है,और आज राजस्थान विधान सभा में उछलकूद कर रहे  'भूतों की असलियत सामने आ जाती है !

     इधर बेचारे  'भूत भी परेशान कि अपनी कारगुजारियां छिपाने के लिए,ऐसे  'भूत हमें बदनाम कर रहे हैं,जिनसे अवाम भी त्रस्त है ! बेचारे भूत आज कितने बेबस हो गए हैं ! वे कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये भी नहीं बता सकते कि सबसे बड़े  'भूत कौन है,और हमें तो नाहक ही बदनाम किया जा रहा है ! 

     सारा चक्कर वर्तमान के  “अभूतपूर्वों” के  “भूतपूर्व” होने का डर मात्र है,जो भूतों के बहाने बाहर आ रहा है !


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