अशोक पुनमिया का ब्लॉग
शुक्रवार, 14 जनवरी 2011
!! अपनों के नाम !!
****** !! अपनों के नाम !!
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गले मिल,हाथ मिला,
गुल मुहब्बत के खिला.
तन्हा-तन्हा जीना छोड़,
मिलने का रख सिलसिला.
हर खता को माफ़ कर,
भूल जा शिकवा-गिला.
गुस्से से क्या होगा हासिल ?
गुस्से से मत तिलमिला.
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