शनिवार, 5 मार्च 2011

!! जिम्मेवार हम है !!

****** !! जिम्मेवार हम है !! ******
फुटकर है खुशियाँ
थोक में ग़म है!
.इन स्थितियों के
जिम्मेवार हम है !!
मयस्सर थे सुख जहां
वहां हम रुके नहीं,
सुकून पडा था जहां,
उठाने को हम झुके नहीं !
दुःख दे रहा है ''वो''
बड़ा ये वहम है,
फुटकर है खुशियाँ
थोक में ग़म है!
इन स्थितियों के
जिम्मेवार हम है !!
भूख जो 'इंसान' की है
उसका कहाँ अंत है ?
'पतझर' का ही रोना रोता
घर में चाहे 'बसंत' है !
चमक-दमक बाहर बहुत
भीतर गहरा 'तम' है,
फुटकर है खुशियाँ
थोक में ग़म है!
इन स्थितियों के
जिम्मेवार हम है !!
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1 टिप्पणी:

  1. सशक्त और सच्ची अभ्व्यक्ति आज खुद को कसूरवार कहने के सिवा चारा भी नहीं

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