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''पिताजी''
दुनिया आज
आपका दिन
मना रही है,
.बहुत से बेटों को
आपकी सही में
और बहुत से बेटों को
आपकी दिखावटी
'याद' आ रही है !
आज का दिन छोड़ दें
तो
बाकी के 364 दिन
आप कहाँ थे .....?
कैसे थे ..... ?,
आराम से थे कि
'जैसे-तैसे' थे !
कुछ बेटों को
ये जानने की
फुर्सत नहीं थी,
और 'गर उन्हें फुर्सत थी
तो ''घरवाली'' की
इजाज़त नहीं थी !!
''पिताजी''
ये दुनिया
बड़ी अजीब है,
जो बेटे बचपन में
'पिता' की
अंगुलियाँ पकड़ कर
चलते हैं,
वे ही ''बेटे''
बड़े हो कर
''पिता'' को
'अंगूठा'
दिखा देते हैं !!!
खैर,
'पिताजी'
इस दिखावटी दुनिया में
आज के दिन आपको
मेरा भी ''प्रणाम'' !!!
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