*** रात ***
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'रात',
रात-रात भर
जागती है,
इंतज़ार में 'चाँद' के !
'रात' वफ़ा की मिसाल है !
चाँद आता नहीं
हर रोज !
'चाँद'
आता है
कभी-कभार,
कभी जल्दी,
कभी देर से !
और कभी
आता ही नहीं !
'रात',
फिर भी करती है
हर रात
शिद्दत से इंतज़ार
'चाँद' का !!
'चाँद' बे-वफ़ा है,
फिर भी कम नहीं होती
वफ़ा 'रात' की !
'रात',
रात-रात भर जागती है
इंतज़ार में चाँद के !
लेकिन,
चाँद जब नहीं आता
तो रोती है जार-जार
'रात',
रात भर !!
लेकिन हम
देख नहीं पाते
आंसू 'रात' के !
क्योंकि
हम देख नहीं सकते
'रात' को
रात में.
लेकिन हाँ,
हम महशूस
कर सकते हैं
रोती हुयी 'रात' को,
उस रात,
जब चाँद नहीं आता.
रोती हुयी 'रात'
अपनी ऑंखें
करती है नम
और
चाँद के ना आने से
हो जाती है
ग़म में और काली.
लेकिन
बे-वफ़ा नहीं होती
'रात'......!!
'रात' हर रोज आती है
इंतज़ार में चाँद के......
चाँद चाहे आये ना आये....!
रात बे-वफ़ा नहीं होती !!!
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आपने सच कहा है कि भारतीय ज्योतिष में कहा गया है कि चन्द्रमा मन का कारक है इसलिए चन्द्रमा ही मन को जोड़ता है. बहुत अच्छा सर जी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति,बधाई.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें , आभारी होऊँगा.
मैं वसीम बरेलवी साहिब का शेर इस गहरी रचना को नज़र करना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंन आस टूटी न आँख से इन्तेज़ार गया
तेरे एक वादे पर मैं एक उम्र हार गया
मैं दिनेश पारीक आज पहली बार आपके ब्लॉग पे आया हु और आज ही मुझे अफ़सोस करना पड़ रहा है की मैं पहले क्यूँ नहीं आया पर शायद ये तो इश्वर की लीला है उसने तो समय सीमा निधारित की होगी
जवाब देंहटाएंबात यहाँ मैं आपके ब्लॉग की कर रहा हु पर मेरे समझ से परे है की कहा तक इस का विमोचन कर सकू क्यूँ की इसके लिए तो मुझे बहुत दिनों तक लिखना पड़ेगा जो संभव नहीं है हा बार बार आपके ब्लॉग पे पतिकिर्या ही संभव है
अति सूंदर और उतने सुन्दर से अपने लिखा और सजाया है बस आपसे गुजारिश है की आप मेरे ब्लॉग पे भी आये और मेरे ब्लॉग के सदशय बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद
दिनेश पारीक
awesome
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