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'आम' आदमी,
'आम' ही रहा
कभी 'ख़ास' नहीं हुआ !
'ख़ास' आदमी के लिए
ज़रूरी है
'आम' आदमी का
'आम' बने रहना !!
एक ऐसा 'आम'
जिसे 'ख़ास' आदमी
पूरा का पूरा
चूस सके
अपनी 'खासियत'
बचाने के लए...!
'आम' आदमी
बना ही है बेचारा
चुसे जाने के लिए.....!!
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