गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

!! धोबीघाट !!


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न ये घर के रहेंगे, न ही घाट के रहेंगे !
आज जो मखमल के है,कल टाट के रहेंगे !!
बच के रहना इनसे,है 'नेता' ये कमाल के,
कुर्सी की खातिर इंसानों को ये बाँट के रहेंगे !
चाहो तो देख लो उठा के इतिहास इनका,
दीमक बन कर देश को ये चाट के रहेंगे !
करना ना ऐतबार कभी,वादों पे इनके यूँ ही 
बात अपनी ही एक दिन ये काट के रहेंग !
'चोर' है पुराने,ऐसे ही कहाँ मानेंगे 'अशोक',
'स्विस' बेंक को 'नोटों से ये पाट के रहेंगे !
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