गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

!!अक्ल की सख्त ज़रूरत है!!


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इस देश की छाती पर बैठ कर मूंग दलने वालों ने इस देश और उसकी अवाम को अपने बाप की जागीर समझ रखा है !
वे गरीब का खाना-पीना महँगा करेंगे.....,
आना-जाना महँगा करेंगे.......,
वाल मार्ट लायेंगे.......,
या अरबो-खरबों का घोटाला कर माल बनायेंगे.......उनकी मर्ज़ी...!
बस अवाम ना बोले !! अवाम मुंह पर ताला लगा कर इन 'बेईमानों' के काले कारनामे पिछले सांठ वर्षों से जैसे देखती आ रही है,बस अभी भी देखती रहे......तो ये 'आधुनिक राजे-महाराजे' बहुत खुश !!
'सोशियल साईट्स ' पर जब अवाम का 'मन' खुल कर प्रकट होने लगा तो इन सफेदपोशों को नानी याद आने लगी है !इनकी पोल का ढोल जब कम्प्यूटरों के पर्दों पर चोबिसों घंटे सत्य बन कर बजने लगा तो 'बेईमान बहरों' के कानों के पर्दे फटने लगे !! 
कुत्ता,डंडे को देख कर काटने की अंतिम कोशिश ज़रूर करता है......लेकिन अंततः दुम दबा कर भागना ही उसकी नियति होती है !!
फूल -मालाओं से हो कर गालियों-जूतों -थप्पड़ों तक पहुंचा लोकतंत्र आखिर किसकी देन है !? जिनको इस बात पर सोचना चाहिए,वे अवाम की जुबां पर ताला लगाने की जुगत में लगे हैं !
दोस्तों,इस देश के 'कुछ मूर्खों' को अक्ल की सख्त ज़रूरत है.....कहीं बंट रही हो तो 'फेस बुक' पर ज़रूर बताईयेगा......आज-कल 'फेस बुक' 'उनकी' नज़र में है,वे पढ़ कर ज़रूर आयेंगे.
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