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.......गांधी,जिन्हें हम बापू या राष्ट्र पिता कहते हैं,'गोली' और 'गाली' खाने के लिए ही बने हैं !
.......'गोली' तो वे एक बार खा चुके,बार-बार नहीं खा सकते,किन्तु 'गाली' वे बार-बार खा सकते हैं,और तमाम तरह की खा सकते हैं !
.......इस मामले में 'गांधी जी' एक ''सोफ्ट टार्गेट' हैं,जो अपना बचाव नहीं कर सकते!
आज अगर 'गांधी' ज़िंदा होते,तो भी फ़क़त ''लाठी'' के ज़रिये अपना बचाव कर भी कैसे सकते थे !!
भारत की धन्य धरा पर ऐसे तमाम पराक्रम चालू है !
.......यहाँ देश हित में हमारे योगदान का क्या अतीत है,क्या वर्तमान है,इसे खंगाले बिना देश के उन सपूतों को गालिया बख्शी जा रही है,जो तमाम कमियों के बावजूद,तुलनात्मक रूप से ज्यादा आदरणीय है.
देश खाऊ भ्रष्ट नेताओं,अफसरों,बाहुबलियों,गुंडों,डकैतों,सफेदपोशों के खिलाफ बोलने में तमाम तरह के खतरे हैं,नुकसान है,लेकिन 'गांधी' जैसे लोगों को गालियाँ निकालने में कोई ख़तरा नहीं है!!
.......देश खाऊ भ्रष्ट नेताओं,अफसरों,बाहुबलियों,गुंडों,डकैतों,सफेदपोशों का बंधक बना ये देश आज छटपटा रहा है,और आज पुनः एक 'गांधी' की मांग कर रहा है,लेकिन यहाँ भारत की पहचान बन चुके 'गांधी' को खारिज करने और उनके 'राष्ट्र पिता' होने या नहीं होने पर निरर्थक बहसे चलाई जा रही है !!'गांधी ' को राष्ट्र पिता कहने की कोई बाध्यता नहीं है....ये तो सम्मान की बात है.जिसके दिल में 'गांधी' के प्रति सम्मान है.जो उनके मानवतावादी कार्यों की अनुमोदना करता है,जो उनकी अहिंसा में विश्नास करता है,देश के लिए उनके द्वारा किये गए कार्यों के लिए जो नतमस्तक है--बेशक वो तो उन्हें 'राष्ट्र पिता' कहने में नहीं हिचकिचाएगा......!
.......'गांधी' भी अंततः एक इंसान ही थे,और इंसान में होने वाली कमिया उनमें भी थी,जिनको कि उन्होंने स्वयं ने स्वीकार भी किया है,लेकिन बावजूद उसके,उनमें जो सत्य,अहिंसा,मानवता,प्रेम,करुना,दया......के जो भाव थे,आज ढूंढे भी नहीं मिलेंगे!'गांधी' को खारिज करने या गाली देने से पहले हमें अपने गिरेबान में अवश्य ही झाँक लेना चाहिए कि,'गांधी' के गुणों का शतांश भी हम में हैं?
.......'गांधी' भी अंततः एक इंसान ही थे,और इंसान में होने वाली कमिया उनमें भी थी,जिनको कि उन्होंने स्वयं ने स्वीकार भी किया है,लेकिन बावजूद उसके,उनमें जो सत्य,अहिंसा,मानवता,प्रेम,करुना,दया......के जो भाव थे,आज ढूंढे भी नहीं मिलेंगे!'गांधी' को खारिज करने या गाली देने से पहले हमें अपने गिरेबान में अवश्य ही झाँक लेना चाहिए कि,'गांधी' के गुणों का शतांश भी हम में हैं?
.......'गांधी' विरोध में लग रही ऊर्जा किसी काम की नहीं,यह समय और उर्जा का अपव्यय है! आज अमूल्य समय और उर्जा की ज्यादा ज़रूरत देश का नुकसान कर रही सफेदपोश शक्तियों के खिलाफ खड़े हो जाने के लिए हैं !!
.......'गांधी' राष्ट्र पिता रहेंगे या नहीं भी रहेंगे (जिसकी संभावना दूर-दूर तक नहीं है !!),तो भी भारत के लिए उनका योगदान तो इतिहास में अमर हो ही चुका है.....और उनको इतिहास से मिटाने की कोशिश करना,खुद को इतिहास के कूड़ेदान में डालने से ज्यादा कुछ भी नहीं है!!
!!!!!! सबको सन्मति दे भगवान् !!!!!!
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