गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

!!! नेता,बाबा और पब्लिक !!!


***************************
!!! नेता,बाबा और पब्लिक !!!  
.......'मनमोहन सिंह एंड कम्पनी' और 'महंगाई' से आजिज़ आ चुकी निरीह जनता को  कहीं पर सुकून नसीब नहीं है !
.......संसद में एक अदद मुहावरे पर जम कर बहस होती है !
मंत्रियो को घोटालों-घपलों के मामले में जेल भेजने के बजाय बचाने के तमाम जतन किये जाते हैं !
सांसद-मंत्री सीना ठोंक कर बंगलों पर अवेध कब्ज़ा जमाये  बैठे रहते है,लाखों-करोड़ों के बिल नहीं चुकाते !सत्ता प्राप्ति और सत्ता बचाव के लिए हर अनैतिक तरिका अपनाया जाता है,और फिर कोई आदमी बोले तो उसे चुप करने की सारी तिकड़मे आजमाई जाती है !
.......लोकतंत्र के दुरपयोग का इससे भयानक  और कुरूप चित्र और क्या हो सकता है !!कोढ़ में खाज ऐसी कि सुबह-सवेरे ही टी.वी. पर खुल्लम-खुल्ली लूट-खसोट शुरू हो जाती है !!समाचार ढूंढने पड़ते हैं,क्योंकि प्रायः सभी चेनलों पर गंडे-ताबीज,भविष्यफल,जन्म-पत्रियाँ,चमत्कारी  रत्न-अंगूठियाँ,लाल-पिली किताबें,बेचते बाबा,तांत्रिक और 'भाड़े' के अनुभवी कलाकार नजर आते हैं..........!!और रही सही कसर 'समोसे और जलेबी' खिलाकर-बंटवाकर ,दुःख-दर्द दूर करते,और अपनी झोली बाकायदा टिकिट बेच-बेच कर भरते ''पांच सितारा बाबाजी'' पूरी कर देते हैं !!
.......तमाम तरह की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अवाम में खून का उबाल दिखाई नहीं देता !भ्रष्टाचार,पाखण्ड,चार सौ बीसी,ठगविदध्या अपने पुरे शबाब पे है......मजबूर-परेशान हाल लोगों का जम कर शोषण हो रहा है,लेकिन जिम्मेदार लोग आँखों पर पट्टी बाँध कर बैठे हैं,बल्कि अपनी 'लाभ दायक साझेदारी' निभाते से लगते हैं!
.......शिक्षक कर्तव्य भूल कर दुकानदारी में लग गए......जनता के धन से पढ़ कर डॉक्टर बने लोग,बीमारों की जेबे तराशने के विशेषज्ञ बन बैठे......सरकारी अफसर-बाबू ने अपनी उपरी कमाई को अलिखित नियम बना दिया.....नगरपालिका का एक अदना सा चपरासी,क्लर्क और ई.ओ.,टेबुल पर टांग पर टांग रख कर ,पुलिसिया अंदाज़ में बैठने के आदी हो गए......चोर,गुंडे,बदमाश पुलिस से हंस-हंस कर मिलने लगे और सीधे-सादे-इमानदार पुलिस को देख बिदकने लगे......और कोर्ट -कचहरी को कहना  पड़ रहा कि 'सी बी आई ,नेताओं की गुलाम है.....तो फिर बाकी क्या बच जाता है !! 
.......भ्रष्टाचार के 'पूर्णकालिक-स्थायी' पदों पर बिराजे 'नेताओं-अफसरों' के देश में आज-कल अजब-गज़ब के तमाशे शुरू है......और हम देखने को अभिशप्त है !!
.......दिल दहलाने वाले ऐसे हादसों से रु ब-रु होने के बाद भी आप और हम ज़िंदा हैं तो ये भी किसी चमत्कार से कम नहीं है......,लेकिन फर्क बस इतना  है कि  ये चमत्कार किसी देश खाऊ नेता,बेईमान तांत्रिक या चार सौ बीसी के सरगना, धन्धेबाज़,पांच सितारा बाबा का नहीं,बल्कि स्वयं जनता का है,जो लोकतंत्र के समंदर में तमाम विपरीत लहरों के बावजूद भी ठोस ज़हाज़ की तरह लंगर डाले अडिग खड़ी है !! 
...लोकतंत्र में घुस आये ठोकतंत्र को सहज मान कर सहन करने वाली सहनशील जनता को सलाम. 
***************************

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें