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.....लोकतंत्र में लोगों के 'माई-बाप' बने बैठे ' मुफ्तखोरों ' का एक और काला कारनामा सामने आया है !
.....हिन्दुस्तानी जनता को खाना पकाने के लिए गैस का जो एक सिलेंडर,महीनें में सिर्फ एक,और वो भी बड़ी मुश्किल से,लम्बी-लम्बी कतारें लगा कर मिल पाता है,वही गैस का सिलेंडर तथाकथित 'जनप्रतिनिधियों' को जब चाहे तब 'थोक' में उपलब्ध रहता है !
.....देश के धन को चुना लगाने वाले ये तथाकथित जनप्रतिनिधि महीनें में औसतन 6-7 सिलेंडरों का (दुर)उपयोग कर रहे हैं !
.....एक समाचार चैनल ने ये खुलासा किया है .
.....इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय अवाम को क्यों समय पर सिलेंडर उपलब्ध नहीं हो पाते है.
.....'नेता' और 'अफसर' इस देश के धन को हर तरह से जम कर चुना लगाने में लगे हैं,और अवाम के हिस्से में परेशानियों के अलावा कुछ भी नहीं है.
.....लोकतंत्र में लोगों की बदौलत कुर्सी पाने वाले नेताओं और उनके कारिंदों ने अवाम के धन को 'अपने बाप' का 'माल' समझ कर मौज-मस्ती करना शुरू कर दिया,और अवाम अपनी परेशानियों से ही जूझने में लगा रहा !
.....यदि मीडिया पूरी तरह से अपना कर्तव्य निभाने लग जाए तो इन 'मुफ्तखोरों' का रोज एक नया काला कारनामा सामने आ सकता है!
.....देश को इन 'मुफ्तखोरों' से बचाने के लिए अब ''अन्ना-रामदेव'' तो ताल ठोंक ही चुके हैं....!अगर हम में भी इस देश के प्रति कोई कर्तव्यबोध है,तो अब बिना समय गवाएं ''अन्ना-रामदेव'' की मुहीम को हर तरह से मजबूती प्रदान करने के लिए आगे आ जाना चाहिए.
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कितना खाते हैं यह ? :):)
जवाब देंहटाएंसुनील जी,
जवाब देंहटाएंइनके खाने का तो कोई हिसाब-किताब ही नहीं है ! :))