.....'गुंडे' सिंहासनों की ओट में बेख़ौफ़ है.....कर्तव्यपरायण-देश भक्त लोग गुंडों के हाथों मारे जा रहे हैं.....सत्ता के सिंहासन पर बैठे 'दोगले' लोग, मार डाले गए देश भक्तों और कर्तव्यपरायण लोगों को चंद लाख रुपयों के चेक तथा तमगे दे कर मामले को ख़त्म करने की परम्परा निभा रहे है.....'गुंडे' फिर-फिर अपने कारनामें दोहराने लगते है......'सरकार' फिर-फिर चेक और तमगे बांटती है.....गुंडों की यह 'पोषक' व्यवस्था क्या कभी बदलेगी....????
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sahi aur satik likha hai aap ne
जवाब देंहटाएंअख्तर साहब,
जवाब देंहटाएंब्लॉग का अवलोकन करने और अपनी टिप्पणी देने के लिए हार्दिक आभार.