मंगलवार, 25 जनवरी 2011

!! गणतंत्र- 2 !!

******* !! गणतंत्र- 2 !!*******
गणतंत्र में 'गण'
हासिये पर पडा है,
और 'तंत्र'
सर पे चढा है !
सबसे निचे की 
पायदान पे खड़े
'गण' को
रोटी-कपड़ा-मकान 
तो क्या,
मयस्सर नहीं है
टमाटर और प्याज !
और तंत्र के सिर-मौर , 
करके अरबो-खरबों के घोटाले
ठोंक कर सीना 
कर रहे हैं राज़ !!
प्रजा है 
बिखरी-बिखरी सी,
चोरों,बेईमानों,गुंडों का
संगठित गिरोह बहुत बड़ा है !
गणतंत्र में 'गण'
हासिये पर पडा है,
और 'तंत्र'
सर पे चढा है ! 
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