!! मुक्तिका !!
***************************************
हवाएं ठंडी बहुत ही भाती है छत पर !
नींद सुकूं भरी रात में आती है छत पर !!
नींद उड़ भी जाए तो ग़म होता नहीं है ,
चाँद-सितारों से गुफ्तगू हो जाती है छत पर !
दिन में निचोड़ा है सूरज ने बदन को,
रात भर चांदनी,अमृत पिलाती है छत पर !
माना कूलर -ए.सी. का ज़माना है यारों ,
'रूह' तक ठंडक पहुँच पाती है छत पर !
'चाँद' देखने छत पर चढ़ते थे दिन में 'अशोक',
यादें लड़कपन की गुदगुदाती है छत पर !!
****************************************
आप बहुत भाग्य शाली है जो एक साथ इतना आनंद छत पर ले पाते है.
जवाब देंहटाएंhttp://achal-anupam.blogspot.com/
http://josochanahi.blogspot.com/
http://mainepadhihai.blogspot.com/