इस चालाक दुनिया में
''माँ'' के लिए
सिर्फ एक दिन !
बाकी के तीन सौ चौसठ दिन
'माँ' कहाँ है ??!!
दूसरों के वहां
झाड़ू-पोंछा-बर्तन करती हुई !
बाप की 'बोतल' के लिए
पैसा जुटाती हुई !!
गोद में बच्चा
और
सर पर तगारी उठाये हुए
दो वक़्त की रोटी का
जुगाड़ करती हुई !!!
'पति' की सताई हुई......,
'बेटों' से तिरस्कृत.......,
'बहुओं' से डरी हुई......,
'बेटे-पोते-पोतियों' से भरे घर में,
किसी छोटे से कमरे में
तनहा-लाचार
चुपचाप पड़ी हुई.....,
या फिर
शहर से दूर
किसी गाँव में
अपनी जिंदगी के दिन
अभावो,तन्हाईयों में
अपने परिवार के लिए
दुआएं करती काटती हुई......,
'' माँ ''......!!!
ए 'माँ',
तू खुश हो जा
कि आज तेरा दिन है !!!
इस चालाक दुनिया का
आज के दिन
तुझे
'रस्मी सलाम' !!!!!
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badiya kavita ,mother day ek accha mazak hai
जवाब देंहटाएंkhair hum to dinbhar apne maa ke sath hi rahte hai
http://blondmedia.blogspot.in/
आलोक भाई,
हटाएंआपकी टिप्पणी के लिए शुक्रिया.
bhai aapse anurodh hai ki comment word verification hata de
जवाब देंहटाएंआलोक भाई,
जवाब देंहटाएंआपके सुझाव पर अमल कर चुका हूँ,शुक्रिया.
yakeenan bahut hi acchha likhte hain aap..
जवाब देंहटाएंराहुल जी,
जवाब देंहटाएंइस होसलाअफजाई के लिए आपका आभारी हूँ.